Utrakhand: सीमा सड़क संगठन (BRO) ने भारत-चीन सीमा के करीब टनकपुर-तवाघाट सड़क पर दो और पुल बनाए हैं, ताकि अंतिम सीमा चौकियों तक परिवहन की सुविधा बढ़ाई जा सके. बीआरओ के एक अधिकारी ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को 27 दिसंबर को परियोजनाओं का उद्घाटन करना था, लेकिन पूर्व व्यस्तताओं के कारण इसे टालना पड़ा. पुलों का निर्माण करने वाली हीरक परियोजना के निदेशक (कार्य) जैनेंद्र कुमार ने कहा कि नवनिर्मित पुलों का उद्घाटन अब 3 जनवरी को डिजिटल रूप से रक्षा मंत्री की तरफ से किया जाएगा.


जैनेंद्र कुमार ने कहा कि 2013 की आपदा में बह गए पुराने पुल के स्थान पर नया पुल बनाया गया. उन्होंने कहा कि तवाघाट घाटियाबगर रोड पर धौली नदी पर 80 मीटर के स्टील के पुल का निर्माण किया गया है. जैनेंद्र कुमार ने कहा, 'इसे धौली गंगा पुल नाम दिया गया है. यह भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा चौकियों पर परिवहन को सुचारु बनाने में मदद करेगा.' उन्होंने कहा कि इससे व्यास घाटी के सभी सात गांवों के ग्रामीणों के साथ-साथ आदि कैलाश के तीर्थयात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए भी बड़ी सुविधा होगी.


जौलजीबी से तवाघाट तक सफर करना होगा आसान


दूसरा जौलजीबी के पास किमखोला गांव में गुमरोड़ी में बना 30 मीटर का कंक्रीट का पुल है. बीआरओ के अधिकारी ने कहा, “यह जौलजीबी से तवाघाट तक परिवहन को बहुत आसान बना देगा.” कुमार ने कहा, "यह व्यास घाटी के सभी सात गांवों के ग्रामीणों के साथ-साथ आदि कैलाश के तीर्थयात्रियों और ट्रेकर्स के लिए भी बहुत सुविधाजनक होगा." दूसरा जौलजीबी के पास किमखोला गांव में गुमरोड़ी में बना 30 मीटर का कंक्रीट का पुल है. बीआरओ अधिकारी ने कहा, "यह जौलजीबी से तवाघाट तक परिवहन को बहुत आसान बना देगा." 


ये सड़क चीन-नेपाल सीमा के लिए महत्वपूर्ण है


बीआरओ के प्रोजेक्ट हीरक के तहत पिथौरगड़ से तवाघाट में दो मोटर पुल का निर्माण पूरा कर लिया है. चीन सीमा को जोड़ने वाले इस मार्ग पर दो पुलों के बनना से यहां सामरिक मजबूती मिली है. तवाघाट से अब इल पुल के बनने के बाद नेपाल के साथ चीन सीमा तक पहुंचना आसान होगा.


उच्च हिमालय को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण तवाघाट-घटियाबगड़ा के धौलीगंगा नदी पर 80 मीटर का स्टील का पुल बन गया है. यह पुल नेपाल और चीन के सीमा तक जाने वाले सड़क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस पुल से धारचूला की व्यास घाटी जुड़ती है.


तवाघाट में महीनों पहले बैली ब्रिज मशीन ले जाते समय क्षतिग्रस्त हो गया था. वैकल्पिक स्थिति के तहत बैली ब्रिज बनाने के समय ही 80 मीटर पुल का निर्माण भी शुरू हो गया था. अब यह पुल बन कर तैयार है. 


कैलाश मानसरोवर पहुंचना हुआ आसान


बीआरओ एक सड़क निर्माण में जुटा है. पिथौरगढ़ के धारचूला से चीन के सीमा के लिपुलेख तक रोड बना रहा है. इस सड़क को बीआरओ ने करीब 17 हजार फीट की उंचाई पर तैयार किया है. वर्ष 2024 में कैलाश मानसरोवर यात्रा मात्र एक हफ्ते में पूरी की जा सकेगी.


इसका कारण ये है कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक ये सड़क बनकर तैयार हो जाएगी. ये सड़क भारत-चीन और नेपाल के ट्राई जंक्शन के पास से गुजरती है. बता दें कि 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क के एक हिस्से का उद्धघाटन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया था. करीब 200 किलोमीटर लंबी इस सड़क के उदघाटन पर बीआरओ को बधाई देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ ने इसे 'ऐतिहासिक' बताया था. क्योंकि अभी सिक्किम के नाथू ला और नेपाल से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 2-3 हफ्ते लग जाते हैं. 


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