Foundation Day of BRO: हाल के दिनों में एलएसी पर चीन की उपस्थिति बढ़ी है. पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्य में निपुण होने के कारण चीनी सेना विभिन्न स्थानों पर बहुत जल्दी पहुंचने में सफल हो जाती है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि बीआरओ भी तकनीक का बेहतर उपयोग कर अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे. ये नसीहत दी है खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने.
शनिवार को बीआरओ के 63वें स्थापना दिवस के मौके पर बीआरओ-कर्मियों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि बीआरओ को समानांतर तरीके से काम करना जारी रखना चाहिए और प्रौद्योगिकी के पूर्ण उपयोग के साथ अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सीमा सड़क के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और बीआरओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. कार्यक्रम में कई बीआरओ कर्मियों ने वर्चुअल रूप से भाग लिया.
बीआरओ को हर सभंव मदद का आश्वासन
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार अपनी ओर से इस दिशा में बीआरओ को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सभी प्रयत्न कर रही है. राजनाथ सिंह ने देश की सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में बीआरओ के पूंजीगत बजट को 40% बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपये करने की हालिया घोषणा का उल्लेख किया. उन्होंने बीआरओ को न केवल बजट, बल्कि इस प्रयास में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया.
‘सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास सुरंक्षा तंत्र को मजबूत करेगा’
रक्षा मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को सरकार की व्यापक रक्षा रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा बताया और कहा कि यह देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करेगा और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा कि लोगों की सहभागिता भी रक्षा रणनीति का अहम हिस्सा है. उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग जितने अधिक सशक्त होंगे, वे उन क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर उतने ही अधिक जागरूक और चिंतित होंगे. नागरिक राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति होते हैं. इसलिए बदलते समय के साथ हम अपने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारी सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वालों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. रक्षा मंत्री ने 75 कैफे और पर्यटन पोर्टल के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी बीआरओ की सराहना की. उन्होंने कहा कि ये पहल संगठन के लगातार बढ़ते विकास के प्रतीक हैं.
रणनीतिक उद्देश्यों में बीआरओ को अहम योगदान
यह उल्लेख करना उचित होगा कि 1960 में सिर्फ दो परियोजनाओं- पूर्व में प्रोजेक्ट टस्कर और उत्तर में प्रोजेक्ट बीकन- के बाद बीआरओ आज सीमावर्ती राज्यों में 18 परियोजनाओं पर काम कर रहा है. इसने भारत की सीमाओं के साथ-साथ मित्र देशों में प्रतिकूल जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में 60,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 840 से अधिक पुलों, चार सुरंगों और 19 हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया है और इस प्रकार हमारे रणनीतिक उद्देश्यों में योगदान दिया है.
2021-22 में, बीआरओ द्वारा कुल 102 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं- 87 पुल और 15 सड़कें- पूरी की गईं जो एक वर्ष में सबसे अधिक है. इसमें दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग का निर्माण, 10,000 फीट से ऊपर अटल सुरंग, रोहतांग और पूर्वी लद्दाख में उमलिंग ला के ऊपर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण शामिल है. बीआरओ के इतिहास में पहली बार महिला अधिकारियों को यूनिट की कमान सौंपी गई है, जिसमें तीन सड़क निर्माण कंपनियों (आरसीसी) की कमान वर्तमान में उनके पास है.
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