नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिक जहां तनावपूर्ण सीमा विवाद में उलझे हुए हैं, वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि सरकार किसी भी स्थिति में भारत के गौरव को धूमिल नहीं होने देगी. उन्होंने कहा कि गतिरोध को दूर करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर द्विपक्षीय वार्ता जारी है.
गतिरोध दूर करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मध्यस्थता की पेशकश के बारे में पूछने पर राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क टी. एस्पर को शुक्रवार को फोन पर हुई बातचीत में बताया कि भारत और चीन के बीच समस्याओं को कूटनीतिक व सैन्य स्तरों पर वार्ता के माध्यम से सुलझाने के लिए वर्तमान में एक व्यवस्था बनी हुई है.
ट्रंप ने की थी मध्यस्था की पेशकश
भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराने के लिए तैयार हैं, इच्छुक हैं और सक्षम हैं. विदेश मंत्रालय ने दो दिन पहले पेशकश को खारिज कर दिया लेकिन राजनाथ सिंह पहले केंद्रीय मंत्री हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से बात की है.
सिंह ने एक न्यूज चैनल से कहा, "मेरी कल अमेरिका के रक्षा मंत्री से बात हुई. मैंने उनसे कहा कि हमारे पास पहले से व्यवस्था बनी हुई है जिसके तहत भारत और चीन के बीच किसी भी समस्या को सैन्य एवं कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाता है."
लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने का प्रयास जारी
यह पूछने पर कि क्या इस मुद्दे पर चीन भारत पर दबाव डाल सकता है, तो रक्षा मंत्री ने कहा, "आप इसके बारे में सोच भी नहीं सकते."वह चीन के साथ सीमा गतिरोध के समाधान के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को भारत द्वारा खारिज किए जाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे. रक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास जारी है.
'देश का गौरव धूमिल नहीं होने देंगे'
उन्होंने कहा, "मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम भारत के गौरव को किसी भी स्थिति में धूमिल नहीं होने देंगे. भारत पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की स्पष्ट नीति का पालन कर रहा है और यह नया रुख नहीं है. हम लंबे अरसे से इसका पालन कर रहे हैं. कभी-कभी चीन के साथ विवाद उत्पन्न हो जाता है. यह पहले भी हुआ है."
डोकलाम विवाद का किया जिक्र
सिंह ने 2017 के डोकलाम मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भी स्थिति काफी तनावपूर्ण प्रतीत हो रही थी, लेकिन हम पीछे नहीं हटे. अंतत: हमने स्थिति का समाधान कर लिया. उन्होंने ने कहा कि चीन भी पूर्वी लद्दाख में कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से सीमा मुद्दे का समाधान करना चाहता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में दोनों पक्षों की अलग-अलग धारणा के कारण घुसपैठ होती है.
'कूटनीतिक स्तरों पर वार्ता से हो समाधान'
रक्षा मंत्री ने कहा, "भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि तनाव नहीं बढ़े. इसका समाधान सैन्य एवं कूटनीतिक स्तरों पर वार्ता के माध्यम से होना चाहिए. दोनों देशों के बीच सैन्य एवं कूटनीतिक स्तरों पर वार्ता जारी है." भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के पैगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचक और दौलत बेग ओल्डी में तीन हफ्ते से अधिक समय से तनाव जारी है.
फिंगर इलाके को लेकर है विवाद
पैगोंग सो के आसपास फिंगर इलाके में एक मुख्य सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में डारबुक-श्याओक-दौलत बेग ओल्डी के बीच सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ. सैन्य सूत्रों ने बताया कि चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है.
भारत ने लद्दाख में बढ़ाई सेना
सूत्रों ने बताया कि चीन के आक्रामक रवैये का सामना करने के लिए भारतीय सेना ने भी पूर्वी लद्दाख में अपने सैनिकों, वाहनों और तोपों की संख्या बढ़ाई दी है. पूर्वी लद्दाख में पांच मई की शाम को चीन और भारत के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए. बहरहाल, गतिरोध जारी रहा. उत्तर सिक्किम में नौ मई को इसी तरह की घटना होने के बाद पैगोंग सो यह घटना हुई. भारत और चीन की सेना के बीच डोकलाम में 2017 में 73 दिनों तक गतिरोध जारी रहा.
भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबा वास्तविक नियंत्रण रेखा है. चीन अरूणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है जबकि भारत इसका विरोध करता है. दोनों पक्ष इस बात से सहमत हैं कि सीमा विवाद का अंतिम समाधान होने तक यह आवश्यक है कि सीमावर्ती इलाके में शांति और धैर्य बनाए रखा जाए.
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