नई दिल्लीः देश की सरहदों पर तैनात जवानों की हिम्मत और हौसले का अक्सर ऐहतराम किया जाता है. मगर उनकी हिम्मत के पीछे उनके परिवार की ताकत होती है. वहीं सैनिकों के बलिदान को तो फिर भी याद किया जाता है लेकिन उनके परिवारों को हम भूल जाते हैं.


इसी बात को कहने की कोशिश फिल्म 'फौजी कॉलिंग' ने की है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 'सीमाओं पर तैनात सैनिकों की ताकत उनके परिवार होते हैं और उनके बलिदानों को भी याद रखा जाना चाहिए.' फिल्म के गीत की यह पंक्तियां सुन रक्षा मंत्री भी भावुक हो गए जो कहता है कि ‘मेरी इतनी से इल्तजा है, बाद मेरे जो बचे उनका ध्यान रखना, मन में बस कुछ मलाल रखना.’


मुख्य किरदार में होंगे शरमन जोशी


इस फिल्म कहानी एक फौजी परिवार की है जिसमें छोटी बच्ची यह मानने को तैयार नहीं होती की उसके पिता शहीद हो गए हैं. वो इसके लिए भगवान से भी अपने पिता को लौटाने की जिद ठान लेता है. एबीपी न्यूज से बातचीत में फिल्म के हीरो और पहली बार किसी फौजी रोल में नजर आने जा रहे अभिनेता शरमन जोशी ने कहा कि इस किरदार को निभाते हुए उन्हें सैनिकों के परिवारों की कशमश को जीने का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा कि फिल्म के बाद भी वो कोशिश करेंगे कि फौजी परिवारों की किसी न किसी तरह मदद करते रहें.


उरी आतंकी हमले से मिली फिल्म की प्रेरणा


फिल्म के निर्देशक आर्यमन सक्सेना ने बताया कि इस कहानी की प्रेरणा उन्हें उरी आतंकी हमले से मिली. इस हमले के बाद कुछ दिनों तक तो शहीदों और उनके परिवार का दर्द समाचारों की सुर्खियों में रहा. मगर कुछ दिनों में सुर्खियां बदल गई. सक्सेना के मुताबिक वो काफी दिनों तक इस सवाल में अटके रहे कि आखिर उन परिवारों के भीतर क्या चल रहा होगा जिन्होंने अपने अपनों को खोया है.इस सवाल से ही फौजी कॉलिंग की कहानी उपजी है.


शहीद पिता और बेटी की कहानी है 'फौजी कॉलिंग' 


फिल्म में रोचक किरदार नन्हीं नायिका माही सोनी ने निभाया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर कार्यक्रम के लिए आई माही काफी देर उनके साथ ही खड़ी रही. फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले रांझा विक्रम सिंह और बिदिता बाग ने इस बात पर जोर दिया कि इस फिल्म ने न केवल शहीदों और उनके परिवारों को करीब से जानने का मौका दिया बल्कि उनकी जिंदगी को महसूस करने का भी अवसर मिला. बिदिता ने कहा कि फिल्म के दौरान उन्होंने महसूस किया कि किस तरह एक फौजी की पत्नी सरहद पर तैनात अपने पति की सलामती के बारे में सोचती रहती है. कैसे फोन की हर घंटी पर उसकी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं. यह फिल्म जल्द ही रिलीज होने जा रही है.




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