गुरुवार को तेजस फाइटर जेट से उड़ान भरेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
तेजस विमान जो वर्ष 2016 में वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो तो गया था, लेकिन तीन साल इस्तेमाल करने के बाद वायुसेना और एचएएल को तेजस को और अधिक घातक बनाने की जरूरत पड़ गई है. हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल अबतक 16 एलसीए तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण कर वायुसेना को सौंप चुका है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को बेंगलुरू में तेजस फाइटर जेट में उड़ान भरेंगे. तेजस स्वदेशी लड़ाकू विमान है जिसे हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल ने वायुसेना के लिए तैयार किया है. करीब दो साल उड़ाने के बाद एचएएल अब तेजस का 'अपग्रेड वर्जन' लाने वाला है जिससे ये फाइटर जेट दुनिया के एडवांस लडाकू विमानों की श्रेणी में शामिल हो जायेगा.
आखिर किस तरह नया तेजस एयरक्राफ्ट और अधिक लीथल यानि घातक होने वाला है ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम रक्षा मंत्री के पहुंचने से पहले बेंगलुरू स्थित तेजस की प्रोडक्शन-लाइन यानि जहां ये तैयार किए जाते हैं पहुंची है. एचएएल ने खास तौर से एबीपी न्यूज को अपने तेजस प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए आमंत्रित किया था.
आपको बता दें कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान से हुई डॉग फाइट में वीर चक्र विजेता विंग कमांडर अभिनंदन ने बेहद ही बहादुरी का परिचय दिखाया और पाकिस्तान के आधुनिक एफ16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था. लेकिन इस डॉग फाइट में उनका मिग 21 फाइटर जेट क्रैश हो गया. जिस मिग 21 को विंग कमांडर अभिनंदन उड़ा रहे थे वो करीब 40 साल पुराना था. ऐसे में सवाल उठने लगा कि आखिर भारतीय वायुसेना इतने पुराने फाइटर जेट्स को क्यों उड़ा रही है. इसका जवाब ये है कि इन पुराने पड़ चुके मिग विमानों की जगह भारत का स्वदेशी लड़ाकू विमान, लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट एलसीए यानि तेजस लेगा.
वही तेजस विमान जो वर्ष 2016 में वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो तो गया था, लेकिन तीन साल इस्तेमाल करने के बाद वायुसेना और एचएएल को तेजस को और अधिक घातक बनाने की जरूरत पड़ गई है. आखिर किस तरह ये तेजस में आधुनिक हथियार मिसाइल और एवयोनिक्स लगने जा रहे हैं, ये बताने के लिए एचएएल ने एबीपी न्यूज को खास तौर से बेंगलुरू स्थित अपनी फैसेलिटी में निमंत्रण दिया. यहां पर प्रोडेक्शन लाइन से लेकर तेजस का खुद का रनवे है जहां पर लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट अपने ऑपरेशन्स के लिए लगातार टेस्ट करता रहता है.
हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल अबतक 16 एलसीए तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण कर वायुसेना को सौंप चुका है. इन्हें तेजस-आईओसी यानि इनिशियल ऑपरेशन्ल क्लीयरेंस का नाम दिया गया है. इन आईओसी विमानों को थोड़ा मोडिफाइड यानि अपग्रेड कर एलसीए-एफओसी यानि फाइनल ऑपरेसनल क्लीयरेंस बनना शुरू हो गया है. कुल 32 आईओसी और एफओसी एयरक्राफ्ट वायुसेना को मिलने हैं. इसके साथ ही कुल आठ ट्रेनर आईओसी और एफओसी (चार-चार) भी एचएएल को सौंपने हैं. इस तरह 40 तेजस विमान एचएएल को भारतीय वायुसेना के लिए तैयार करने हैं.
लेकिन अब जो नए तेजस विमान भारतीय वायुसेना को मिलेंगे वे और अधिक आधुनिक हैं. ऐसे 83 एलसीए 'मार्क वन-ए' एचएएल को तैयार करने हैं जो माना जा रहा है कि अमेरिका के एफ16 और चीन के जेएफ 17 से भी एडवांस एयरक्राफ्ट हैं. ऐसे में आने वाले समय में कुल 123 तेजस लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाएंगे.
ये मार्क वन-ए फाइटर जेट वियोंड विजयुल रेंज मिसाइल यानि ऐसी मिसाइल जो आंखों की नजरों से दूर 25-30 किलोमीटर दूर भी टारगेट को एंगेज यानि मार गिरा सकती है उससे लैस होंगी. इनमे ईडब्लू यानि इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट को होगा जिसके जरिए अगर तेजस पर कोई मिसाइल लॉक होती है तो पॉयलट को कॉकपिट में लगे सेंसर से तुरंत पता चल जाएगा. नए तेजस में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा यानि दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा. खास आएसा रडार लगी होंगी जो तेजस की क्षमताओं को और अधिक बढ़ा देंगी. एयर टू एयर रिफ्यूलिंग यानि हवा में ही उसमें ईंधन दिया जा सकेगा.
एलसीए तेजस फॉरथ जेनेरेशन एयरक्राफ्ट है जिसमें फ्लाई बाय वायर इस्तेमाल किया गया है. जबकि अमेरिका का एफ16 लड़ाकू विमान और चीन के जेएफ 17 मैकेनिकल प्रक्रिया इस्तेमाल करते हैं. एफ16 और जेएफ17 में मेटल यानि धातु का इस्तेमाल किया गया है. मेटल का बना होने के चलते वे जल्द रडार की जद में आ जाते हैं. जबकि तेजस कम्पोजिट मैटेरियल का होने के चलते हल्का भी हो जाता है और दुश्मन की रडार में भी आसानी से नहीं आ पाता है. भारत का पड़ोसी और चिरपरिचत दुश्मन, पाकिस्तान इन दोनों लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करती है. इसलिए ये विदेशी फाइटर जेट एविओनिक्स और फ्लाईट कंट्रोल में तेजस का मुकाबला बामुश्किल ही कर पाएंगे. साथ ही विदेशी लड़ाकू विमानों को सोर्स कोड भी भारत के लिए मुश्किल खड़ी करता है.
प्लांट में विजिट के दौरान एचएएल के अधिकारियों ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोई भी देश किसी विदेशी एयरक्राफ्ट को तो खरीद सकता है लेकिन ऐसा देखने में आया है कि अगर उस विदेशी लड़ाकू विमान का समय के साथ अपग्रेड कराया जाए तो उसकी तकनीक ओरिजनल फाइटर जेट के दाम से भी ज्यादा मंहगी होती है. इसलिए जरूरी है कि भारतीय वायुसेना ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का इस्तेमाल करे ताकि भविष्य में उसमें अपग्रेडेड मिसाइल या एवयोनिक्स लगाए जाए तो उसमें वायुसेना को ज्यादा पैसा ना खर्च करना पड़े. भारतीय वायुसेना ने जब मिराज 2000 का अपग्रेड किया तो ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था.
करीब नौ टन के वजन वाला तेजस एक सुपर सोनिक फाइटर जेट है जो 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है. अपने साथ तेजस विमान करीब 35 टन के मिसाइल, बम और दूसरा भार उठा सकता है. एचएएल ने नए तेजस विमान को जैमर-प्रोटक्शन तकनीक से लैस किया है ताकि दुश्मन की सीमा के करीब उसका कम्युनिकेशन जाम ना हो पाए, जैसाकि 27 फरवरी को पाकिस्तान से डॉगफाइट के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन के मिग 21 लड़ाकू विमान को हो गया था.
साथ ही तेजस मार्क-वन'ए' में लेजर डेजिगनेटेड पॉड्स और लेजर गाईडेड बम एक साथ लगाए गए हैं. आपको बता दें कि ये तकनीक बालाकोट में आतंकियों के कैंप पर स्ट्राइक करने वाले मिराज2000 में भी नहीं थी. यानि भारत का तेजस विमान अब एक मल्टी रोल फाइटर जेट के श्रेणी में आ गया है जो एयर सुप्रीयरेटी क्ष और डीप-पैनेट्रेशन यानि दुश्मन की सीमा में घुसकर स्ट्राइक करने में भी सक्षम हो गया है.
हाल ही में भारतीय वायुसेना ने गगनशक्ति और वायुशक्ति नाम की जो दो एक्सरसाइज की थी उनमें पाया गया कि एलसीए-तेजस की सर्विससेबिलटी बाकी फाइटर जेट्स से कहीं ज्यादा थी. यानि एक समय में कौन से फाइटर जेट्स में कितने ऑपरेशन के लिए तैयार थे, उनमें तेजस का परसेंट्ज सबसे ज्यादा थे. एलसीए का मेंटनेंस भी दूसरे फाइटर जेट के मुकाबले कम है. यहां तक की टर्न-एराउंड टाइम भी बहुत कम है. इसके मायने ये है कि एक लंबी फ्लाईंग के बाद भी तेजस बेहद कम समय में अगली सोर्टी यानि उड़ान के लिए तैयार हो जाता है. यही वजह है कइ एचएएल तेजस के टॉप-एंड मॉडल को निर्यात करने का प्लान बना रहा है.
हाल ही में मलेशिया में हुए लीमा एयरोशो में तेजस की परफोर्मेंस देखकर दुनियाभर की वायुसेना ने भारत कए स्वदेशी लड़ाकू विमान की जमकर तारीफ की थी. मलेशिया ने तो तेजस को खरीदने का प्रपोजल भी दिया है. आपको बता दें कि स्वदेशी लड़ाकू विमान, तेजस अब समंदर की सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए भी तैयार है.
कुछ दिनों पहले तेजस के 'नेवल-वर्जन' ने गोवा बेस पर एयरक्राफ्ट कैरियर से अपने ऑपरेशन्स को अंजाम देने की दिशा में एक अहम फ्लाईट टेस्ट पूरा कर लिया है. लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट यानि एलसीए (नेवी) ने विमानवाहक युद्घपोत की तरह ही महज 100 मीटर में 'अरेस्टेड-लैंडिग' (नियंत्रण लैंडिंग) कर इतिहास रच दिया है.. इस टेस्ट के बाद जल्द ही तेजस को भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर फ्लाईट टेस्ट कराया जायेगा. अगर तेजस इस टेस्ट में खरा उतरा तो भारत उन चुनिंदा देशों कई श्रेणी में शामिल हो जायेगा जो एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने वाले फाइटर जेट का निर्माण करते हैं. अभी तक ये रिकॉर्ड अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे चुनिंदा देशों के पास है. ये निमार्ण कार्य भी हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड को मेक इन इंडिया के तहत करना है.