नई दिल्ली: गैलवान घाटी में चीन से हुई खूनी झड़प और सीमा पर चल रहे टकराव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले हफ्ते रूस की यात्रा पर जा सकते हैं. हालांकि, रक्षा मंत्री रूस की विजय दिवस परेड में हिस्सा लेने के लिए मास्को जा रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इस दौरान चीन की करतूतों को भी अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद मित्र-देश से साझा करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, 24 जून को द्वितीय विश्व युद्ध में रूस की जीत की 75वीं वर्षगांठ है. इस उपलक्ष्य में रूस ने राजधानी मास्को में एक भव्य ‘विक्टरी-डे परेड’ का आयोजन किया है. इसी परेड में शिरकत करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मास्को जाने वाले हैं.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, हालांकि राजनाथ सिंह की रूस यात्रा लगभग पक्की है, लेकिन इसपर मुहर शुक्रवार शाम तक ही लग पाएगी, क्योंकि शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से चल रहे टकराव पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक के लिए खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी प्रमुख राजनैतिक पार्टियों के और अध्यक्षों और प्रमुखों को फोन कर आमंत्रित किया है. खुद प्रधानमंत्री के कहने पर इस सर्वदलीय बैठक को बुलाया जा रहा है.
आपको बता दें कि रूस की विक्टरी डे परेड में रूस की सेना सहित कई देशों की सैन्य टुकड़ियां हिस्सा लेने वाली हैं. भारत का भी एक 75 सदस्य सैन्य-दल इस विक्टरी-डे परेड में हिस्सा लेने मास्को जा रहा है. भारत की इस टुकड़ी में तीनों सशस्त्र सेनाओं यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की भागीदारी है.
आपको बता दें कि रूस हमेशा से ही भारत का सबसे भरोसेमंद मित्र-देश रहा है. हालांकि, बीते कुछ सालों में भारत की नजदीकियां अमेरिका से काफी बढ़ गई हैं, लेकिन भारत ने कभी भी रूस का साथ नहीं छोड़ा है. वर्ष 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी भारत ने रूस से रातों-रात गोला-बारूद और दूसरे हथियार लिए थे.
राजनाथ सिंह की रूस यात्रा ऐसे समय में है, जब भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय से अपने 33 फाइटर जेट्स के प्रोपोजल को गति देने के लिए कहा है. दरअसल, बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद वायुसेना ने रूस से 21 मिग-29 लड़ाकू विमान खरीदने का प्लान बनाया था. साथ ही रूस से लिए 12 सुखोई फाइटर जेट्स जो बीते सालों में दुर्घटनाग्रस्त हुए थे, उन्हें भी बदलने का प्रस्ताव दिया है.
रक्षा मंत्री की ये यात्रा इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि चीन और रूस भी काफी करीबी माने जाते थे. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 23 जून को ही मास्को पहुंच जाएंगे. 23 तारीख को ही भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों की भी वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक मीटिंग है.
इस बीच गुरूवार को भारत और चीन के मेजर-जनरल स्तर की मीटिंग माना जा रहा है बेहद ‘सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक’ रही है. दोनों तरफ के मेजर-जनरल स्तर की ये सातवीं बैठक थी और गैलवान घाटी में 15-16 जून की रात को हुई हिंसक झड़प के बाद दूसरी बड़ी बैठक थी. भारतीय सेना की तरफ से कारू (लेह के करीब) स्थित थ्री (3) डिव के कमांडर, मेजर जनरल अभिजीत बापट ने इस मीटिंग में शिरकत की. इस बैठक के बाद दोनों देश कुछ और मीटिंग करने के लिए राजी हो गए हैं.
मीटिंग खत्म होने के कुछ देर बाद ही भारतीय सेना ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि गैलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद से ही चीनी सेना ने कुछ भारतीय सैनिकों को बंधक बना रखा है. मीटिंग के बाद सेना ने कहा कि गैलवान घाटी में तैनात कोई भी सैनिक लापता नहीं है.
सेना ने ये भी बताया कि 15-16 जून की झड़प में कुल 76 सैनिक घायल हुए थे. इनमें से चार की हालत शुरूआत में नाजुक थी और करीब 14 सैनिकों को गंभीर चोटें आईं थीं, लेकिन अब इन सभी 18 सैनिकों की हालत स्थिर है और अगले 15 दिनों में सभी अपनी ड्यूटी पर लौट आएंगे. ये सभी 18 सैनिक लेह स्थित आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती हैं. सेना मुख्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि बाकी 56 सैनिकों को मामूली चोटें आईं थीं, जो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं और अगले हफ्ते से ड्यूटी पर लौट आएंगे. सेना ने ये भी साफ किया कि वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की संख्या 20 है. अगर गिनती के हिसाब से देखें तो गैलवान घाटी में चीनी सेना से भारत की पूरी एक कंपनी की झड़प हुई थी, क्योंकि एक कंपनी में करीब 100 सैनिक होते हैं (20 किल्ड इन एक्शन और 76 घायल).
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