नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बेंगलुरु में आज स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरेंगे. सिंह तेजस के दो सीट वाले एयरक्राफ्ट में सवार होंगे. रक्षा अधिकारियों ने बताया कि यह भारतीय वायुसेना की 45वीं स्क्वॉड्रन ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ का हिस्सा है. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन और विकसित किया है.


वायुसेना ने दिसंबर 2017 में एचएएल को 83 तेजस जेट बनाने का जिम्मा सौंपा था. इसकी अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ रुपए थी. डीआरडीओ ने 21 फरवरी को बेंगलुरु में हुए एयरो शो में इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस जारी किया था. इसका आशय यह है कि यह युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है.


तेजस ने पिछले सप्ताह नौसेना में शामिल होने के लिए एक बड़ा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के अधिकारियों ने गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग कराई थी. तेजस यह मुकाम पाने वाला देश का पहला एयरक्राफ्ट बन गया है.



हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल अबतक 16 एलसीए तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण कर वायुसेना को सौंप चुका है. इन्हें तेजस-आईओसी यानि इनिशियल ऑपरेशन्ल क्लीयरेंस का नाम दिया गया है. इन आईओसी विमानों को थोड़ा मोडिफाइड यानि अपग्रेड कर एलसीए-एफओसी यानि फाइनल ऑपरेसनल क्लीयरेंस बनना शुरू हो गया है. कुल 32 आईओसी और एफओसी एयरक्राफ्ट वायुसेना को मिलने हैं. इसके साथ ही कुल आठ ट्रेनर आईओसी और एफओसी (चार-चार) भी एचएएल को सौंपने हैं. इस तरह 40 तेजस विमान एचएएल को भारतीय वायुसेना के लिए तैयार करने हैं.


लेकिन अब जो नए तेजस विमान भारतीय वायुसेना को मिलेंगे वे और अधिक आधुनिक हैं. ऐसे 83 एलसीए 'मार्क वन-ए' एचएएल को तैयार करने हैं जो माना जा रहा है कि अमेरिका के एफ16 और चीन के जेएफ 17 से भी एडवांस एयरक्राफ्ट हैं. ऐसे में आने वाले समय में कुल 123 तेजस लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो जाएंगे.


ये हैं खूबियां


ये मार्क वन-ए फाइटर जेट वियोंड विजयुल रेंज मिसाइल यानि ऐसी मिसाइल जो आंखों की नजरों से दूर 25-30 किलोमीटर दूर भी टारगेट को एंगेज यानि मार गिरा सकती है उससे लैस होंगी. इनमे ईडब्लू यानि इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट को होगा जिसके जरिए अगर तेजस पर कोई मिसाइल लॉक होती है तो पॉयलट को कॉकपिट में लगे सेंसर से तुरंत पता चल जाएगा. नए तेजस में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा यानि दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा. खास आएसा रडार लगी होंगी जो तेजस की क्षमताओं को और अधिक बढ़ा देंगी. एयर टू एयर रिफ्यूलिंग यानि हवा में ही उसमें ईंधन दिया जा ‌सकेगा.


करीब नौ टन के वजन वाला तेजस एक सुपर सोनिक फाइटर जेट है जो 15 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है. अपने साथ तेजस‌ विमान करीब 35 टन के मिसाइल, बम और दूसरा भार उठा सकता है. एचएएल ने नए तेजस‌ विमान को जैमर-प्रोटक्शन तकनीक से लैस किया है ताकि दुश्मन की सीमा के करीब उसका कम्युनिकेशन जाम ना हो पाए.


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