नई दिल्ली: सीमा पर चीन से चल रही तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने आज ‌तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए 33 लड़ाकू विमानों सहित बड़ी मात्रा में स्वदेशी मिसाइलों को खरीदने की मंजूरी दे दी. इन मिसाइलों में पिनाका, अस्त्रा और क्रूज मिसाइल शामिल है.


रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए और सशस्त्र सेनाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में आज रक्षा खरीद प्रक्रिया की बैठक हुई जिसमें कुल 38,900 करोड़ रूपये के सैन्य-प्लेटफॉर्म और हथियारों को खरीदने का मंजूरी दी गई.


रक्षा खरीद प्रक्रिया में रक्षा मंत्री के साथ साथ रक्षा राज्यमंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव शामिल होते हैं.


जानकारी के मुताबिक, रूस से 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों को खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. ये मिग-29 हालांकि पुराने-मेक के हैं लेकिन रूस ने इनका कभी इस्तेमाल नहीं किया था. साथ ही भारतीय वायुसेना 80 के दशक से पहले से ही मिग-29 एयरक्राफ्ट्स की तीन स्कॉवड्रन ओपरेट करती आई है, ऐसे में रूस ने भारत को मात्र 7418 करोड़ में 21 विमान देने की पेशकश की थी. इसे अब भारत ने मंजूर कर लिया है.


सूत्रों की मानें तो रूस ने इन पुराने मेक के 21 मिग-29 फाइटर जेट्स को अपग्रेड करने का भी वादा किया है. इसके अलावा इस सौदे में ही भारतीय वायुसेना की तीन स्कॉवड्रन में तैनात 59 मिग-29 जेट्स को भी अपग्रेड किया जाएगा. हालांकि, इन पुराने मिग-29 का हाल ही में अपग्रेडेशन किया गया था, लेकिन अब इन्हें मल्टीरोल एयरक्राफ्ट्स में तब्दील किया जाएगा. अभी तक मिग-29 लड़ाकू विमानों को एयर-सुपीयेरेटी के लिए माना जाता था. लेकिन मल्टी रोल में तब्दील होने पर अब इन विमानों को ग्राउंट अटैक के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा.


इसके अलावा वायुसेना के लिए 12 सुखोई विमानों को भी एचएएल यानि हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड से खरीदा जाएगा. इन12 सुखोई विमानों की कीमत 10,730 करोड़ है. दरअसल, इन सुखोई विमानों को एचएएल, रूस से लाईसेंस लेकर भारत में ही निर्माण करती है. सुखोई विमानों के निर्माण का प्लांट महाराष्ट्र के नासिक में है. नब्बे के दशक में भारत ने रूस से 250 सुखोई विमानों का सौदा किया था. ये 12 सुखोई उन विमानों का रिप्लेसमेंट हैं जो अब तक क्रैश हुए हैं.


दरअसल, भारतीय वायुसेना को टू-फ्रंट वॉर यानि चीन और पाकिस्तान, दोनों  मोर्चों के लिए तैयार रहना है. लेकिन वायुसेना की स्कॉवड्रन लगातार कम हो रही हैं. ऐसे में भारत ने आनन-फानन में इन 33 फाइटर जेट्स खरीदने को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा 36 रफाल लड़ाकू विमानों की पहले खेप भी इस महीने के आखिरी हफ्ते में फ्रांस से भारत पहुंच जाएगी.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गुरूवार को जो खरीद प्रक्रिया को मंजूरी दी गई उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आत्मनिर्भर' योजना का विशेष ध्यान दिया गया. इस योजना के तहत 31130 करोड़ की मिसाइल और दूसरे सैन्य साजो-सामान स्वदेशी हैं. इनमें थलसेना के लिए मल्टी-बैरल पिनाका रॉकेट लांच सिस्टम, बीएमबी व्हीकल्स के लिए हथियार और गोला-बारूद और सॉफ्टवेयर डिजाइन रेडियो-सिस्टम हैं.


इसके अलावा वायुसेना और नौसेना के लिए अस्त्रा मिसाइल और लोंग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआर-एलएसीएम) शामिल हैं. बियोंड विजयुल रेंज वाली हवा से हवा में मार करने वाली स्वदेशी अस्त्रा मिसाइल वायुसेना के सुखोई और नौसेना के मिग-29के विमानों के लिए है. एलआरएलएसीएम की रेंज करीब एक हजार किलोमीटर है और इसे जमीन और युद्धपोत दोनों से लांच किया जा सकता है.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन रॉकेट, मिसाइल और हथियारों के शामिल होने से तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की ताकत में काफी इजाफा हो सकेगा. डीआरडीओ प्रमुख, जी सथीश रेड्डी के मुताबिक, गुरूवार को हुई रक्षा खरीद की मंजूरी से सेना के साथ साथ स्वेदशी रक्षा कंपनियों को भी फायदा होगा, क्योंकि डीआरडीओ ने हथियार और मिसाइल निर्माण के लिए इंडस्ट्री को तकनीक सौंप सकता है.


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