रक्षा मंत्रालय ने 'C-295' मीडियम लिफ्ट मालवाहक विमानों के लिए यूरोप की कंपनी से किया करार, इन खूबियों से होंगे लैस
सी-295 मीडियम-वेट मालवाहक विमान हैं जो भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे. सी-295 एयरक्राफ्ट 5-10 टन का पेयलोड ले जा सकते हैं और करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं.
रक्षा मंत्रालय ने आज वायुसेना के लिए एयरबस डिफेंस कंपनी से 56 'सी-295' मीडियम लिफ्ट मालवाहक विमानों का करार किया है. हाल ही में सीसीएस ने 22 हजार करोड़ की इस डील को मंजूरी दी थी. इस डील के तहत 16 विमान सीधे यूरोप की बड़ी एविएशन कंपनी, एयरबस-डिफेंस से खरीदे जाएंगे और बाकी 40 एयरक्राफ्ट एयरबस-डिफेंस भारत में ही टाटा कंपनी के साथ मिलकर निर्माण करेगी. इस करार के साथ ही ऐसा पहली बार होगा कि देश में कोई प्राईवेट कंपनी एयरक्राफ्ट का निर्माण करेगी.
एवरो एयरक्राफ्ट की लेंगे जगह
सी-295 मीडियम-वेट मालवाहक विमान हैं जो भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे. सी-295 एयरक्राफ्ट 5-10 टन का पेयलोड ले जा सकते हैं और करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं. एयरबस कंपनी के मुताबिक, सी295 विमान एक साथ 71 सैनिक या फिर 50 पैराट्रूपर्स को एक साथ युद्ध-मैदान में ले जाने में सक्षम है. एवरो की तरह ही सी-295 भी टूइन-इंजन टर्बोप्रोप एयरक्राफ्ट है.
कंमाडोज को कर सकेंगे एयर-ड्रॉप
सी-295 का गेट पिछले हिस्से में है जिससे सैनिकों (पैरा-ट्रूपर्स) और कार्गो को आसानी से एयर-ड्रॉप किया जा सकता है. इन विमानों के जरिए वायुसेना पैरा कमांडोज को एयर-ड्रॉप करने के लिए इस्तेमाल करेगी. फिलहाल वायुसेना, सी-130जे सुपर हरक्युलिस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करती है.
रक्षा मंत्रालय ने दी हरी झंडी
रक्षा मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के हरी झंडी मिलने पर जानकारी दी कि एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (स्पेन) कंपनी से करार होने के 48 महीने यानि चार साल के भीतर 16 'फ्लाईअवे' एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे. बाकी जो 40 एयरक्राफ्ट भारत में बनेंगे वे अगले एक दशक (दस साल) में वायुसेना को मिल जाएंगे. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी 56 विमान स्वदेशी इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सूट से लैस होंगे.
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