नई दिल्ली: एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच सांसदों के एक दल के लेह-लद्दाख के दौरे को लेकर रक्षा मंत्रालय पसोपेश में हैं. चिठ्ठी लिखकर ‘डिसइंगेजमेंट के बाद जाने की सलाह’ देने के एक दिन बाद ही डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स (डीएमए) डिपार्टमेंट का कहना है कि लोकसभा स्पीकर जब भी नई तारीख तय करेंगे, सासंद फ्रंटलाइन पर सैनिकों से मिलने जा सकते हैं.


सूत्रों के मुताबिक, डीएमए डिपार्टमेंट को अब सांसदों के दल के लेह-लद्दाख दौरे को लेकर कोई ऐतराज नहीं है. लोकसभा स्पीकर जब भी कोई नई तारीख देंगे तब ही सांसद लेह-लद्दाख के दौरे पर जा सकते हैं. गौरतलब है कि बुधवार को ही डीएमए ने एक पत्र लिखकर संसद की लोकलेखा समिति (पब्लिक एकाउंट्स कमेटी) के प्रतिनिधिमंडल को ‘मौजूदा परिस्थितियों’ को देखते हुए लेह-लद्दाख के दौरे पर ना जाने की सलाह दी थी. पत्र में सैनिकों के फ्रंटलाइन पर तैनात होने और डिसइंगेजमेंट होने तक ना जाने के लिए कहा था. साथ ही लेह-लद्दाख के प्रतिकूल जलवायु (ठंड और बर्फ) के बारे में कहा गया था. डीएमए विभाग, सीडीएस जनरल बिपिन रावत के अंतर्गत काम करता है.


दरअसल, इस साल के शुरूआत में सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में हाई-ऑल्टिट्यूड पर तैनात सैनिकों की स्पेशल क्लोथिंग और राशन इत्यादि को लेकर सवाल खड़े किए थे. हालांकि सेना ने इस रिपोर्ट को पुराने आंकड़ों पर आधारित होने के चलते खारिज करने की कोशिश की थी और खुद थलसेनाध्यक्ष ने इस बारे में एक आधिकारिक बयान जारी किया था, लेकिन संसद की लोकलेखा समिति सीएजी की रिपोर्ट की सच्चाई जाने के लिए एलएसी पर तैनात सैनिकों से मिलना चाहती थी. इसको लेकर 28-29 अक्टूबर की तारीख भी तय हो गई थी, लेकिन बिहार चुनाव में सांसदों की व्यस्ता को देखते हुए तारीख को टाल दिया गया था. लोकसभा स्पीकर अब कोई नई तारीख जारी करेंगे. उस दौरान रक्षा मंत्रालय (डीएमए) ने संसद समिति के दल को जाने की इजाज़त दे दी थी.


आपको बता दें कि पिछले छह महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा विवाद को लेकर टकराव चल रहा है. इस तनातनी के चलते भारत के करीब 50 हजार फ्रंटलाइन सैनिक चीन सेना के आई-बॉल टू आई-बॉल तैनात हैं. हालांकि, तनाव खत्म करने को लेकर कई दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन टकराव जारी है.


बुधवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजधानी दिल्ली में सेना के टॉप कमांडर्स को संबोधित करते हुए विश्वास दिलाया था कि सीमा पर तैनात सैनिकों को आधुनिक हथियार और सैन्य साजो-सामान के साथ साथ स्पेशल क्लोथिंग (गरम कपड़े इत्यादि) मुहैया कराना देश की जिम्मेदारी है.


सेना का दावा है कि फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात सैनिकों को स्पेशल क्लोथिंग के तहत माइनस (-) 40-50 डिग्री तापमान के लिए खास जैकेट्स, लोउर, ग्लब्स और बूट सहित आर्टिक टैंट्स दे दिए गए हैं. इसी क्रम में पिछले महीने ही भारत ने अमेरिका से 11 हजार स्पेशल ईसीडब्लूसीएस (एक्सटेंड्ड कोल्ड वैदर क्लोथिंग सिस्टम) लिए हैं ताकि हाई-ऑल्टिट्यूड (14 हजार फीट से ज्यादा उंचाई) पर तैनात सैनिकों को ये खास विंटर-गियर मुहैया कराए जा सकें. ये थर्ड जेनरेशन ईसीडब्लूसीएस सिस्टम भारत ने अमेरिका से हुए लेमोआ (एलईएमओए) एग्रीमेंट यानि लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (करार) के तहत लिए हैं.