रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बने देशों को दी चेतावनी, मित्र-देशों की सुरक्षा का वादा किया
DefExpo-2022 Round Table meeting: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह डिफेंस-एक्सपो के लिए दिल्ली में आयोजित राजदूतों के गोलमेज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसमें मित्र-देशों के राजदूत और उच्चायुक्त मौजूद थे
Round Table meeting for DefExpo-2022: एलएसी पर चीन से चल रहे तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बने देशों को चेतावनी दी है. साथ ही रक्षा मंत्री ने मित्र-देशों की सुरक्षा का वादा किया है. राजनाथ सिंह ने आक्रामक नीति अपनाने वाले देशों को संयुक्त राष्ट्र के कानून का वो अध्याय याद दिलाया जिसमें शांति के लिए खतरे पैदा करने वाले से निपटा जाता है.
सम्मेलन में कौन-कौन रहे मौजूद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को राजधानी दिल्ली में डिफेंस-एक्सपो के लिए आयोजित राजदूतों के गोलमेज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस सम्मेलन में मित्र-देशों के राजदूत और उच्चायुक्त मौजूद थे. भारतीय रक्षा क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक रुचि का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न देशों के राजदूतों, मिशनों के प्रमुखों और डिफेंस अटैचे सहित 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया. इस मौके पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, सचिव (रक्षा उत्पादन) राज कुमार और गुजरात सरकार तथा रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. राजनाथ सिंह नए कहा कि, "मैं अपने मित्र देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय सात में निर्धारित सामूहिक सुरक्षा प्रणाली के प्रति हमारी स्थायी प्रतिबद्धता का आश्वासन देना चाहता हूं जो शांति के लिए खतरों, शांति के उल्लंघन और आक्रामकता के संबंध में कारवाई से संबंधित है." रक्षा मंत्री ने कहा कि "एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में, हम इन सहयोगों और प्रयासों के माध्यम से एक स्थिर अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना चाहते हैं.
आपको बता दें कि भारत का एलएसी पर तो विवाद चल ही रहा है और इस दौरान चीन की पीएलए सेना ने कई बार दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति के लिए किए गए करारों का उल्लंघन किया है. इसके अलावा चीन ने हाल ही में भूटान के साथ भी बॉर्डर को लेकर एक अहम करार किया है. साथ ही नेपाल के भी कुछ सीमावर्ती इलाकों पर चीन की नजर है. ऐसे में रक्षा मंत्री का बयान बेहद अहम हो जाता है.
'डिफेंस-एक्सपो' में हिस्सा लेने के लिए मित्र-देशों को आमंत्रण
संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अध्याय सात अतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता से जुड़ा है. ये अध्याय शांति के लिए खतरा और शांति के उल्लंघन और आक्रमक नीतियों के खिलाफ कारवाई से जुड़ा है. इस गोलमेज सम्मेलन के जरिए रक्षा मंत्री ने गुजरात के गांधीनगर में अगले साल मार्च में (11-13 मार्च) के बीच एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी, 'डिफेंस-एक्सपो' में हिस्सा लेने के लिए मित्र-देशों को आमंत्रित किया है. इस रक्षा प्रदर्शनी का उद्देश्य भारत में निवेश को बढ़ावा देने, एयरोस्पेस और रक्षा तंत्र को मजबूत करने और दुनिया की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करना है. इसके अलावा देश में अंतरिक्ष, साइबर, स्पेस में भविष्य की क्षमताओं और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास की क्षमता को बढ़ावा देना है.
रक्षा निर्यात में काफी वृद्धि हुई
रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात में 334 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और भारत अब 75 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है. यह सम्मेलन विश्व के रक्षा विनिर्माण उद्योगों के साथ-साथ भारत के मित्र देशों तक बेहतर पहुंच स्थापित करने के लिए आयोजित किया गया है. राजनाथ सिंह ने कहा कि 'डेफएक्सपो 2022' से रक्षा अनुसंधान एवं विकास और उत्पादन, आधुनिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग, सरकार द्वारा पिछले सात वर्षों में शुरूकी गई उदारीकृत सहयोगात्मक नीतियों के संदर्भ में भारत क्या हासिल कर पाया है, इसकी विस्तृत-झांकी प्रस्तुत करेगा. रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी बढ़ने से भारत और अन्य देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों का विकास होगा.
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस आयोजन से निवेश को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमताओं और दक्षताओं का विस्तार करने, प्रौद्योगिकी समावेशन के लिए रास्ते खोजने में मदद मिलेगी और इस प्रकार वर्ष 2024 तक 5 अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा भारत को स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के साथ आत्मनिर्भर बनाने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की जाएगी.