Travel Challenges: वैक्सीन अप्रूवल में देरी के चलते भारतीय नागरिकों के लिए विदेश जाना अब भी बना हुआ है बड़ा चैलेंज
Travel Challenges: भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को अब तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली है. जिसके चलते भारतीय छात्रों और अन्य ट्रैव्लर्स को विदेश जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
Travel Challenges: कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार फिर कई देशों ने अपने यहां आने वाले यात्रियों को लेकर ट्रैवल नियमों में ढील देना शुरू कर दिया है. यूएई और ब्रिटेन दोनों ही एक बार फिर भारत के साथ हवाई यात्रा को बहाल कर चुके हैं. हालांकि विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों और अन्य नागरिकों के लिए वापस बाहर जाना अब भी एक बहुत बड़ा चैलेंज बना हुआ है.
दरअसल दुनिया के लगभग सभी देशों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत उनके यहां आने वाले यात्रियों को वैक्सीन की दोनों डोज लगी होना अनिवार्य है. हालांकि भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को अब तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली है जिसके चलते इन भारतीय छात्रों और अन्य ट्रैव्लर्स को अब भी विदेश जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
भारत में इस समय कोविशील्ड के साथ साथ कोवैक्सीन और स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी मिली हुई है. कोविशील्ड को जहां डब्ल्यूएचओ से मंजूरी प्राप्त है वहीं कोवैक्सीन और स्पूतनिक अब भी इस मंजूरी के इंतजार में है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोवैक्सीन को जल्द ही आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी जाएगी. डब्ल्यूएचओ से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिलने से कोवैक्सीन लगवाने वाले छात्रों और अन्य लोगों को ट्रैवल करने में आसानी होगी.
यूएई और ब्रिटेन में कोवैक्सीन लगाने वाले यात्रियों को आने की नहीं है अनुमति
यूएई में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं. दूसरी लहर के दौरान उसने अप्रैल में भारत के साथ हवाई यात्रा पर रोक लगा दी थी. कोरोना के मामलों में कमी को देखते हुए अब एक बार फिर यूएई ने 7 अगस्त से भारत के साथ हवाई यात्रा बहाल कर दी है. हालांकि यहां कोविड नियमों के अनुसार यूएई आने वाले यात्रियों को वैक्सीन की दोनों डोज लगी होने के साथ साथ वैलिड रेसिडेंस विजा होना अनिवार्य है. साथ ही यूएई के रास्ते अन्य देशों में जाने वाले यात्रियों के लिए भी ये नियम लागू है.
ब्रिटेन ने भी दूसरी लहर के दौरान भारत के साथ हवाई यात्रा को रोक दिया था. अब एक बार फिर उसने भारतीय यात्रियों ओ अपने वहां आने की सशर्त अनुमति दे दी है. परेशानी की बात ये है की इन दोनों ही देशों में कोवैक्सीन लगाने वाले यात्रियों को आने की अनुमति नहीं है.
जिसके चलते भारतीय छात्रों और अन्य नागरिकों के लिए यहां जाना अब भी मुश्किल बना हुआ है. सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि कोवैक्सीन का टीका लगाने वालों, विशेषकर छात्रों को इन देशों द्वारा एंट्री से वंचित नहीं किया जाए.
कई देशों ने अब तक नहीं खोले हैं अपने बॉर्डर
साथ ही ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे कई देशों ने अब तक अपने बॉर्डर नहीं खोले हैं. जबकि यहां एक बड़ीं संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं. अगर ये देश जल्द अपने बॉर्डर नहीं खोलते हैं तो यहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के भविष्य को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है.
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