नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के संकाय सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर शिक्षकों और छात्रों से भेदभाव करने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से यह मामला सरकार के समक्ष उठाने का भी आग्रह किया. इस संबंध में जेएनयू प्रशासन ने बयान जारी कर आरोपों को खारिज किया है.
संकाय सदस्यों के साथ मुलाकात करने के बाद पासवान ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इन पर गौर किया जाना चाहिए. प्रतिनिधिमंडल की चिंताओं को ट्वीट कर और सरकार से उनकी चिंताओं पर ध्यान देने की अपील के बाद पासवान ने कहा कि मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उनसे बात की और कहा कि सीट में किसी तरह की कटौती नहीं की गई है और शुल्क में बढ़ोतरी भी वापस ले ली गई है.
पासवान ने कहा, “सरकार अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के हितों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
साथ ही कहा कि वह बिहार से राष्ट्रीय राजधानी लौटने पर अगले हफ्ते इस मुद्दे को मानव संसाधन विकास मंत्री के समक्ष उठाएंगे. प्रतिनिधिमंडल ने पासवान को बताया कि शुल्क में हालिया बढ़ोतरी और सीटों में कटौती ने इन वंचित समुदायों को सबसे अधिक प्रभावित किया है. इसने यह भी कहा कि एससी-एसटी शिक्षकों को शर्तें पूरी करने के बावजूद देय पदोन्नति नहीं दी जा रही है.
पासवान ने उनके हवाले से कहा कि इन समुदायों के लिए आरक्षित शैक्षणिक पदों को योग्य उम्मीदवार उपलब्ध होने के बावजूद रिक्त छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा, “प्रतिनिधिमंडल के आरोप गंभीर हैं. उन पर ध्यान देना होगा.”
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के एससी-एसटी सदस्यों और छात्रों को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन से भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन की कमान कुलपति एम. जगदीश कुमार के हाथ में है. विश्वविद्यालय में शुल्क बढ़ोतरी के लेकर छात्र संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए.
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