Delhi Crime: कहावत है कि अपराधी पुलिस से एक कदम आगे चलता है और पुलिस उसका पीछा करते हुए उस तक पहुंचती है. लेकिन दिल्ली के आउटर नॉर्थ जिले में पुलिस ने इस कहावत में कुछ बदलाव किया है और अब अपराधियों से एक कदम आगे चलते हुए उसने ऑपरेशन हॉक आई की शुरुआत की है.


जिसके तहत पुलिस सादा वर्दी में ऐसी जगहों पर तैनात रहती है जहां पर आम लोगों की भीड़ हो या फिर उनका आना जाना हो और इन जगहों पर पुलिस कभी सब्जीवाला बनकर तो कभी फलवाला बनकर या कभी बस स्टॉप पर यात्री बन कर एक किरदार निभा रही होती है. साथ ही जैसे ही कोई संदिग्ध या अपराधी आता है तो ये पुलिसकर्मी उसे दबोच लेते हैं.


क्या है ऑपरेशन हॉक आई


जिले में स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए इस ऑपरेशन को शुरू किया गया है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर के साफ निर्देश हैं कि अपराध पर अंकुश लगाया जाए. इसलिए जिले के डीसीपी बीएस यादव ने इस ऑपरेशन हॉक आई को इजात किया. ये ऑपरेशन 1 अक्टूबर को शुरू किया गया था. जिसमें 33 पुलिसकर्मियों की टीम बनाई गई है. ये लोग सिविल ड्रेस में अलग-अलग पॉइंट पर तैनात रहते हैं.


इन लोगों को उन्हीं जगहों पर तैनात किया जाता है जो अपराध संभावित क्षेत्र है, जैसे व्यस्त बाजार, सुनसान सड़कें आदि. इसके बाद टीम के सदस्यों को छोटे-छोटे समूह में तैनात कर दिया जाता है. वे लोग पब्लिक के बीच में पब्लिक की तरह ही घुल मिल जाते हैं. जैसे कोई सब्जी बेचने की भूमिका निभाता है, कोई फल बेचने की, कोई समान धोता है.


एक महीने मेंं 120 से ज्यादा लोग गिरफ्तार


इस तरीके से पुलिस वाले जनता के बीच में रहकर अपराधियों पर नजर रख रहे होते हैं. इस 1 महीने की बात करें तो इस अभियान की वजह से जिले में 48 परसेंट पीसीआर कॉल जो स्ट्रेट क्राइम से जुड़ी हुई थी, में कमी आई है. लगभग 19 सौ संदिग्ध लोगों की वेरिफिकेशन की गई है और 120 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


इस अभियान की वजह से एक और चीज सामने आई है वह यह कि अधिकतर बदमाश जो स्ट्रीट क्राइम में शामिल रहते हैं वे नशे के आदी पाए गए हैं. कोई नशे की हालत में अपराध को अंजाम दे रहा होता है, तो कोई नशे को खरीदने के लिए अपराध को अंजाम देता है. क्योंकि बड़ी संख्या में बदमाश जेल पहुंचे हैं, इसलिए नशे के धंधे में भी कमी आयी है. इस अभियान की तारीफ पुलिस मुख्यालय में भी की गई है और ये भी संभव है कि आने वाले दिनों में अन्य जिला पुलिस भी इस अभियान को अपनाते हुए इसके तहत काम करें.


संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं- पुलिसकर्मी


पुलिसकर्मियों ने बताया, “हम लोग क्राइम के हॉटस्पॉट पर सादी वर्दी में तैनात रहते हैं. वहां पर संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं. इस दौरान हमें पब्लिक के बीच में घुलना मिलना होता है और उन जैसा ही देखना होता है. इसलिए हम माहौल के अनुरूप ही अपना हुलिया धारण करते हैं और वैसे ही रहते हैं. हमने सब्जी वाला बन कर स्नैचर को पकड़ा था. हम लोग 2 से 3 की संख्या में एक जगह पर रहते हैं और अन्य पुलिसकर्मी भी हमारे समपर्क में रहते हैं. जैसे ही हम किसी को पकड़ते हैं, तो तुरंत ही दूसरी टीम भी आ जाती है.”


पुलिसकर्मियों ने आगे बताया, “हमारा टारगेट हर संदिग्ध व्यक्ति होता है. क्योंकि संदिग्ध व्यक्ति किसी अपराध में लिप्त हो सकता है. हम कभी सब्जीवाला बन जाते हैं. कभी फल वाला और कभी बस स्टॉप पर यात्री बन कर खड़े होते हैं. टारगेट को पकड़ने में कितना समय लगेगा, कोई फिक्स नहीं होता है. पहले दिन हमने 11 से 13 लोगों को गिरफ्तार किया था.”


ऑपरेशन हॉक ऑय वजह से जिले में जहां एक ओर स्ट्रीट क्राइम में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर नशे के कारोबार में भी मंदी आई है. आउटर नार्थ जिले में इस अभियान के तहत जितने भी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से अधिकतर नशे के आदी हैं और अब बड़ी संख्या में उन लोगों का जेल के अंदर जाना नशे के कारोबारियों के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है. क्योंकि उनके ग्राहकों में कमी आने की वजह से उनके कारोबार पर असर पड़ा है.


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