नई दिल्ली: दिल्ली की करीब 270 हस्तियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर इस साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगे की एक रिटायर्ड जज से 'स्वतंत्र जांच' कराने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की अनुशंसा के विपरीत दिल्ली पुलिस 'मनगढ़ंत' जांच कर रही है.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वालों में अवकाश प्राप्त एयर वाइस मार्शल एनआई रज्जाकी, पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, माकपा नेता बृंदा करात, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर प्रमुख हैं. उन्होंने कहा कि यह पत्र दिल्ली पुलिस द्वारा उत्तर पूर्व दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की एकतरफा, अन्यायपूर्ण बनावटी जांच के प्रति निराशा और चिंता प्रकट करने के लिए लिखा गया है.
केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा गया है, ''हम यह पत्र उपयुक्त रिटायर्ड जज के नेतृत्व में स्वतंत्र और समयबद्ध जांच का अनुरोध करने के लिए लिख रहे हैं. जांच के दायरे में हिंसा के सभी पहलू शामिल होने चाहिए.'' इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में वरिष्ठ पत्रकार एचके दुआ, मृणाल पांडे, पूर्ववर्ती योजना आयोग सदस्य सैयदा हमीद, अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति श्याम मेनन, कार्यकर्ता अग्निवेश शामिल हैं.
दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई
बता दें कि दिल्ली दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में वकीलों का पैनल नियुक्त करने को लेकर मंगलवार को दिल्ली सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस के वकीलों के पैनल को खारिज कर दिया. दिल्ली कैबिनेट में फैसला लिया गया कि दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को कोर्ट ने निष्पक्ष नहीं माना है. ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है. हालांकि दिल्ली सरकार, उप राज्यपाल की इस बात से सहमत है कि यह केस बेहद महत्वपूर्ण है. इस वजह से दिल्ली सरकार ने गृह विभाग को निर्देश दिया है कि दिल्ली दंगे के लिए देश के सबसे बेहतरीन वकीलों का पैनल बनाया जाए. साथ ही पैनल निष्पक्ष भी होना चाहिए.