नई दिल्ली: दिल्ली के किराड़ी इलाके में हुए अग्निकांड में 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि 3 लोग घायल हैं. मरने वालों में 5 सदस्यों का एक पूरा परिवार भी है, जो किराड़ी के इंदर एंक्लेव इलाके में किराए के मकान में रह रहा था. इसके अलावा जो चार अन्य लोग हैं वे मकान मालिक के परिवार से हैं, जिसमें से तीन बुजुर्ग हैं. मृतकों में चार महिलाएं, तीन बच्चें और दो पुरुष हैं. पुलिस का कहना है कि प्राथमिक जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है. अभी जांच जारी है, जिसके बाद आग के सही कारणों का पता चल पाएगा. आग पर काबू पाने के लिए दमकल की 8 गाड़ियों को लगभग साढ़े तीन घण्टे तक मशक्कत करनी पड़ी. मकान में एक ही जीना था, जिसका दरवाजा अंदर से बंद था. उसे काफी मुश्किल से तोड़ा गया. बचाव कार्य में फायर विभाग के 2 कर्मी भी घायल हुए हैं.


इस हादसे ने एक बार फिर से दिल्ली सरकार और एमसीडी पर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर रिहायशी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों और गोदाम पर कब अंकुश लगेगा और कौन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार माने जाएंगे ताकि लगातार हो रहे अग्निकांड से दिल्ली को बचाया जा सके.


क्या था घटना स्थल का हाल


मकान में जहां आग लगी, ग्राउंड फ्लोर पर एक गोदाम था जिसमें कपड़ा भरा हुआ था. यह कपड़ा हेलमेट और होज़री का सामान आदि बनाने के काम में इस्तेमाल में उपयोग किया जाता है. फर्स्ट फ्लोर पर उदय चौधरी अपनी पत्नी कोमल और 3 बच्चों के साथ रहते थे. दूसरी मंजिल पर मकान मालिक अपने परिजनों के साथ रहते हैं. घटना रविवार आधी रात लगभग 12 बजे के आसपास की है. आस-पड़ोस के लोगों को मालूम हुआ कि घर में आग लगी है. जिसके बाद जानकारी फायर विभाग को दी गयी.


उदय चौधरी ने धुएं से हुई घुटन के बीच रिश्तेदारों को फ़ोन कर मांगी थी मदद


उदय चौधरी ने घर के अंदर से ही अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन किया था और बताया कि घर के अंदर आग लग चुकी है और धुआं भरा हुआ है. घुटन हो रही है, हमें बचाओ. किसी तरीके से उन्हें बाहर निकाला जाए क्योंकि घर के दरवाजे बंद है. उदय के भांजे गोपाल ने बताया कि वह नजदीक ही रहता है. मामा के फ़ोन के बाद वह तुरंत मदद के लिए पहुंचा लेकिन आग बहुत ज्यादा थी वह नहीं बचा सका.


सिलिंडर ब्लास्ट भी हुआ


आग की वजह से दूसरी मंजिल पर रखे एक छोटे सिलेंडर में विस्फोट भी हुआ, जिसकी वजह से दूसरी मंजिल की एक दीवार टूट गई और उसकी ईंटें छिटक कर नजदीक के एक मकान में लगी. धमाके की तीव्रता से आप समझ सकते हैं कि ब्लास्ट कितना तेज रहा होगा. यही कारण रहा कि दूसरी मंजिल पर 4 में से 3 लोग बुरी तरीके से झुलस गए. पुलिस का कहना है कि दूसरी मंजिल पर संजू, उनकी मां गुड्डन, उनके ससुर रामचंद्र झा और सास सुदर्य देवी के शव पड़े थे.


कैसे लगी आग, किसी को नहीं पता


किराड़ी में हुए अग्निकांड को लेकर सभी के मन में एक सवाल है कि आखिर यह आग कैसे लगी. प्रारंभिक जांच में यह बात कही जा रही है कि आग लगने की वजह शार्ट सर्किट हो सकती है जिसकी वजह से गोदाम में आग फैली और आग धीरे-धीरे ऊपर तक पहुंच गई. अभी कोई स्पष्ट नहीं है क्योंकि घटना में मृतक संजू के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि यह हादसा नहीं बल्कि साजिश है. दिल्ली पुलिस भी एफएसएल से जांच करा रही है ताकि आग लगने के सही कारणों का पता चल सके.


जगह-जगह चल रहे हैं अवैध गोदाम और फैक्टरियां


यहां के लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि किराड़ी इलाके में जगह-जगह अवैध फैक्टरी और गोदाम चलाए जा रहे हैं. लोग कहते हैं कि वो खुलकर सामने इसलिए नहीं आ पाते क्योंकि उन्हें डर होता है कि शिकायत करने के बाद फैक्ट्री या गोदाम मालिक उनके दुश्मन ना बन जाए. इतना ही नहीं कुछ लोगों का कहना है कि कई बार मामले की शिकायत भी की गई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है.


10-10 लाख का मुआवजा


किराड़ी में हुई 9 मौतों को लेकर दिल्ली सरकार ने हर एक मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है. साथ ही जो भी लोग इस हादसे में घायल हुए हैं उनका पूरा उपचार कराने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार ने ली है. घायलों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाएगा. हादसे की सूचना मिलने के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन हालात का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे.


एसडीएम जांच के आदेश


सत्येंद्र जैन ने इस हादसे के पीछे क्या कारण है और किसकी लापरवाही है इसके लिए एसडीएम जांच बैठा दी है. 1 सप्ताह में जांच की रिपोर्ट आ जाएगी जिसके बाद आगे की कार्रवाई भी की जाएगी.


एमसीडी पर डाली जिम्मेदारी


सत्येंद्र जैन ने इस पूरे मामले के लिए कहीं ना कहीं एमसीडी को जिम्मेदार ठहराया है. जब सत्येंद्र जैन से इस बात के बारे में पूछा गया कि आखिर रिहायशी इलाक़े में कमर्शल गतिविधियां कैसे हो रही थी? क्या यहां पर गोदाम या फैक्ट्री चलाना जायज है. तो उनका कहना था कि यहां पर फैक्ट्रियां और गोदाम अवैध तौर पर चलाए जा रहे हैं. इस चीज के लिए एमसीडी जिम्मेदार है क्योंकि दिल्ली का कानून ऐसा है कि सारी चीजें दिल्ली सरकार के हाथ में नहीं है. कई मामले एमसीडी के अंतर्गत आते हैं. अवैध तरीके से फैक्ट्री और गोदाम चलाए जाने के लिए सीधे तौर पर एमसीडी जिम्मेदार होता है.


मदद के लिए गुहार लगाते रहे, परिवार को बचाने के लिए तड़पते हुए घुट गया दम


उदय चौधरी अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ पहली मंजिल पर बतौर किराएदार रह रहे थे. रविवार रात को वह एक भोज में गए थे. उससे पहले अपने भांजे से कुछ काम कराने के लिए गए थे. आधी रात लगभग 12 बजे वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर के अंदर ही सो रहे थे. अचानक जब उनका दम घुटना शुरू हुआ, तो उन्होंने देखा कि आग लगी हुई है और पूरे घर में धुआं भरा हुआ है. उन्होंने तुरंत ही दरवाजा खोलकर बाहर निकलने का प्रयास किया लेकिन दरवाजा लॉक होने की वजह से वह बाहर नहीं निकल पाए. उन्होंने मदद के लिए अपने भांजे गोपाल व अन्य रिश्तेदारों को मोबाइल से फोन किया. लेकिन सभी लोग बचाने में असमर्थ रहे.


नजदीक ही रहने वाले उनके भांजे गोपाल ने बताया कि उनके मामा ने उन्हें फोन किया तो वह तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन आग इतनी भयंकर थी कि वो अंदर नहीं घुस पाए. उन्होंने दरवाजा खोलने का भी प्रयास किया लेकिन दरवाजा भी नहीं खुल पाया. जिसके बाद वह किसी तरीके से पड़ोस की छत से ऊपर पहुंचे लेकिन ऊपर भी आग की वजह से इतनी ज्यादा गर्मी थी कि कोई भी उस मकान के अंदर दाखिल नहीं हो पा रहा था. बाद में जब सिलेंडर फटा तो सब इधर उधर भागे. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.


दरवाजा तोड़ना पड़ा


मकान के अंदर फंसे लोगों को बाहर के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. दरवाजे अंदर से बंद थे, जिस वजह से आग बुझने तक अंदर से किसी को बाहर नहीं निकाला जा सका था. फायर ब्रिगेड के कर्मचारी जब अंदर गए तो काफी देर हो चुकी थी और 9 लोगों की मौत हो चुकी थी. सब की मौत दम घुटने की वजह से हुई है.


बीजेपी ने एमसीडी की भूमिका पर पूछे गए सवाल को टाला


किराड़ी में हुई 9 मौत के बाद इस विषय में राजनीति भी शुरू हो गई है. आप की दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के दौरे के बाद बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली थी. दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ में नार्थ एमसीडी के मेयर अवतार सिंह और बाहरी दिल्ली के सांसद हंसराज हंस भी पहुंचे. जब मनोज तिवारी और मेयर अवतार सिंह से यह सवाल किया गया कि अवैध तौर पर चल रहे गोदाम और फैक्ट्रियों को लेकर कौन जिम्मेदार है? इस पर उन्होंने टालते हुए कहा कि यह हादसा बेहद दुखद है. 9 लोगों की मौत हुई है. अभी हमें इन सब बातों पर चर्चा ना करते हुए मृतकों के परिवार के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए. मनोज तिवारी ने यह भी कहा कि दिल्ली में आए दिन इस तरह की घटना हो रही है, जो चिंता का विषय है. जो भी एजेंसी ऐसे मामलों में लापरवाह है या जिम्मेदार हैं, उनके ऊपर कार्रवाई की जानी चाहिए. बगैर किसी पक्षपात के. हालांकि एमसीडी की भूमिका को लेकर उन्होंने कोई भी जवाब देना उचित नहीं समझा. ऐसा ही हाल उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर अवतार सिंह का भी रहा, जिन्होंने जांच की बात कहते हुए जवाब देने से इंकार कर दिया.


मृतकों के नाम


1- राम चन्द्र झा (65)
2- सुदर्य देवी (58)
3- संजू झा (36)
4- गुड्डन (55) संजू की मां


(उक्त चारों दूसरी मंजिल पर थे.)


5- उदय चौधरी (33) किरायदार
6- मुस्कान (26) पति का नाम उदय चौधरी
7- अंजलि (10) पिता का नाम उदय
8- आदर्श (7) पिता का नाम उदय
9- तुलसी (ढाई महीने) पिता का नाम उदय


(पहली मंजिल पर थे)


घायल


1- आराध्य (3)


2- सौम्या (10)


3- पूजा (24)


तीनों घायलों को तीसरी मंजिल यानी छत से रेस्क्यू कराया गया.


फायर की गाड़ियां पहुंची लेट


किराड़ी के इंदर एंक्लेव में रहने वाले लोगों का आरोप है कि फायर विभाग की गाड़ियां घटनास्थल पर लगभग 1 से डेढ़ घंटे की देरी से पहुंची. जिसकी वजह से मृतकों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई. लोगों ने अपने मोबाइल फोन के कॉल लॉग दिखाए और यह दावा किया कि उन्होंने रात 12 बजे से फायर विभाग को सूचना देनी शुरू कर दी थी, लेकिन विभाग की कार्रवाई इतनी ढीली रही कि उनकी गाड़ियों को मौके पर पहुंचने के लिए कम से कम डेढ़ घंटा लगा. जबकि यह मामला देर रात का था, सड़कें खाली होती हैं और विभाग की गाड़ियां समय रहते पहुंच सकती थी.


संजू की बहन ने पूजा और अमरनाथ झा पर जताया साजिश का शक


अग्निकांड में मौत का शिकार हुई संजू की बड़ी बहन ने यह आरोप लगाया है कि आग लगने की यह घटना कोई हादसा नहीं बल्कि एक सोची-समझी साजिश है, जिसको संजू के देवर अमरनाथ झा और देवरानी पूजा ने अंजाम दिया है. संजू के पति विद्यानाथ झा की मौत लगभग 1 साल पहले हुई थी. वह कैंसर रोग से पीड़ित थे. उनकी मौत के बाद से ही अमरनाथ झा और उनकी पत्नी पूजा संजू को परेशान करते थे. यह भी आरोप लगाया गया है कि यह सारा विवाद संपत्ति को लेकर था. अमर नाथ झा और पूजा इस मकान को बेचना चाहते थे लेकिन संजू और उसके ससुर रामचंद्र झा इसके विरोध में थे. 31 दिसंबर को संजू के पति की बरसी होने वाली थी. इस वजह से ही संजू ने अपनी मां गुड्डन को गांव से बुला लिया था. गुड्डन संजू की बच्ची को स्कूल आदि छोड़ने में मदद कर रही थी. इसके अलावा संजू के सास ससुर भी बरसी के कारण 10 से 15 दिन पहले गांव से दिल्ली आए थे. संजू की बहन ने यह आरोप भी लगाया कि पूरी साजिश के तहत अमरनाथ झा रविवार शाम को घर से बाहर चले गए और पीछे से उनकी पत्नी ने इस पूरी वारदात को अंजाम दिया. उन्होंने पुलिस से इस मामले की जांच करने की मांग की है. हालांकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह मामला शार्ट सर्किट के कारण आग का लग रहा है, लेकिन किसी भी तरह का कोई शक न रहे इसलिए एफएसएल की टीम को मौके पर बुलाकर जांच कराई जा रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आग लगने का कारण क्या था?


कोई साजिश नहीं है


अमरनाथ झा ने अपने ऊपर और अपनी पत्नी पूजा के ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया है. उनका कहना है कि वह रविवार शाम को लगभग 5 बजे हरिद्वार के लिए घर से निकले थे. उन्होंने कश्मीरी गेट से हरिद्वार के लिए बस ली थी. जिसके बाद वह देर रात करीब 12 बजे हरिद्वार के नजदीक पहुंच चुके थे. उनकी पत्नी ने उन्हें लगभग 12 बजे फोन किया, जो साफ तौर पर कुछ बता नहीं पा रही थी. वह बस में थे इसलिए उन्हें लगा कि शायद नेटवर्क की वजह से आवाज साफ नहीं आ रही है. लेकिन कुछ देर बाद ही आस-पड़ोस के लोगों का भी फोन उनके मोबाइल पर आने लगा. तब उन्हें यह मालूम हुआ कि उनके घर में आग लग गई है और इतना बड़ा हादसा हो गया है. अमरनाथ ने दावा किया है कि वह वहीं बस डिपो पर सुबह तक रुके रहे क्योंकि जो बस थी उसके कंडक्टर ने कहा था कि जब बस फुल हो जाएगी तभी बस यहां से चलेगी और बस को चलने में सुबह लगभग 5 बज गए. इसके बाद मैं यहां पहुंचा तो मुझे मालूम हुआ कि इस अग्निकांड में मेरे माता-पिता और मेरी भाभी उनकी मां इसके अलावा हमारे मकान के पहली मंजिल पर रहने वाले किराएदार के पूरे परिवार की मौत हो चुकी है. मैं खुद यहां पर डरा हुआ हूं क्योंकि यहां के सभी लोग हम पर शक कर रहे हैं. मेरी बेटी भी अस्पताल में भर्ती है, भतीजी भी अस्पताल में ही है और पत्नी भी घायल हुई है. उसका भी उपचार किया जा रहा है.


पड़ोसियों ने की काफी मदद


किराड़ी के इंदर एंक्लेव इलाके में जिस मकान में आग लगने की घटना हुई है, वहां रहने वाले आस-पड़ोस के लोगों ने आग को बुझाने के लिए काफी मशक्कत की. कुछ परिवार तो ऐसे रहे जिन्होंने अपने घरों से मोटर चला कर पानी के पाइप से आग बुझाने का भरसक प्रयास भी किया. लेकिन वे सफल नहीं हो पाए क्योंकि आग काफी तेज थी. इतना ही नहीं लोगों ने अंदर फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के लिए भी काफी प्रयास किया. पड़ोसी की छत से भी ऊपर गए लेकिन आग की वजह से पैदा हुई गर्मी इतनी तेज थी कि कोई भी उस घर तक पहुंचने में सफल नहीं हो पाया. हालांकि अंदर फंसे 3 लोग पूजा, उसकी बेटी और भतीजी किसी तरीके से छत के रास्ते ऊपर तक आए, जिसके बाद फायर विभाग के कर्मचारियों ने तीनों को पड़ोसी की छत से लकड़ी की सीढ़ी के सहारे बाहर निकाला और फिर तीनों को नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल में पहुंचाया जहां पर तीनों का उपचार चल रहा है.