नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों के लिए चुनावी गठबंधन की संभावना के लिए धुर विरोधी आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के संपर्क में होने का पता चला है. आप सूत्रों ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच वर्तमान में अनौपचारिक बातचीत चल रही है. यद्यपि, अभी दोनों के बीच गठबंधन के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.


इस बारे में अटकलें तब और तेज हो गई जब आप ने पिछले हफ्ते पहली बार विपक्ष की एक बैठक में हिस्सा लिया था जिसमें कांग्रेस भी शामिल हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, आप की ओर से बातचीत पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पार्टी के लिए निर्णय लेने वाली पीएसी के सदस्य के जरिए की जा रही है.


रोचक बात है कि आप-कांग्रेस के बीच दिल्ली और पंजाब में सीधा टकराव रहा है. अगस्त तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहते थे कि कांग्रेस को वोट करने का मतलब बीजेपी को वोट करने के बराबर है. आप ने बीती अगस्त में राज्यसभा सभापति के चुनाव का बहिष्कार किया था और कहा था कि वह इसको लेकर निराश है कि कांग्रेस ने अपनी ओर से खड़े किये गए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के लिए उससे समर्थन नहीं मांगा.


सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन में पेंच दिल्ली में लोकसभा की सीटों की संख्या है, जिन पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है. दिल्ली की सात सीटों में से आप कांग्रेस को दो से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है.


दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों में से आप छह पर पहले से ही अपने प्रभारी घोषित कर चुकी है. बाद में इन प्रभारियों को ही पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा. इसका मतलब है कि आप को अपने एक या दो उम्मीदवार को मैदान से हटने के लिए कहना होगा जो पहले ही प्रचार शुरू कर चुके हैं.


दिलचस्प है कि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व आप के साथ गठबंधन नहीं चाहता, लेकिन माना जाता है कि शीर्ष नेतृत्व इस विचार के खिलाफ नहीं है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस और आप का जनाधार लगभग समान माना जा रहा है. साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आप और कांग्रेस का वोट शेयर ऊपर नीचे हुआ है लेकिन बीजेपी का समान बना हुआ है.