Delhi News: महरौली में जारी रहा DDA का अतिक्रमण विरोधी अभियान, आप सरकार बोली- तुरंत रोको ये एक्शन
Mehrauli Anti-Encroachment Drive: दिल्ली के महरौली में अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर घमासान शुरू हो गया है. आप सरकार ने डीडीए से इस कार्रवाई को रोकने के लिए कहा है.
Mehrauli Anti-Encroachment Drive: दिल्ली की आप (AAP) सरकार ने शनिवार (11 फरवरी) को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) से महरौली (Mehrauli) में अतिक्रमण विरोधी अभियान रोकने को कहा है. अधिकारियों ने ये जानकारी दी. उन्होंने पीटीआई से कहा कि राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने क्षेत्र में नए सिरे से सीमांकन (Demarcation) का आदेश दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि मंत्री ने कहा है कि नए सिरे से सीमांकन किए जाने तक क्षेत्र के निवासियों को विस्थापित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने दावा किया कि डीडीए ने कथित अतिक्रमण को गिराने के लिए राजस्व विभाग के सीमांकन को अपना आधार बनाया था.
डीडीए का अतिक्रमण विरोधी अभियान
डीडीए के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि एक दिन पहले महरौली पुरातत्व पार्क क्षेत्र में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लगभग 1,200 वर्ग मीटर सरकारी भूमि को फिर से हासिल किया गया था. इससे पहले स्थानीय लोगों के विरोध के बीच दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शनिवार को लगातार दूसरे दिन महरौली इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी रखा.
लोगों ने कहा कोई नोटिस नहीं दिया
अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान मौके पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. क्षेत्र के निवासियों ने कहा कि डीडीए ने अंधेरिया मोड़ स्थित औलिया मस्जिद के पास दो तीन मंजिला इमारतों को झोपड़ियों सहित गिरा दिया था. बृजवासी के आम बाग में एजेंसी की जमीन पर अवैध तरीके से कई तीन और चार मंजिला ढांचों का निर्माण किया गया था. वहीं लोगों का कहना है कि उन्हें एजेंसी की ओर से कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई.
शुक्रवार को शुरू किया था अतिक्रमण विरोधी अभियान
डीडीए (DDA) अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने शुक्रवार को घौसिया स्लम कॉलोनी में एक अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया था. डीडीए ने बृजवासी कॉलोनी और सी-ब्लॉक में एक इमारत को भी ध्वस्त कर दिया और अन्य को आंशिक रूप से हटा दिया. ये क्षेत्र महरौली पुरातत्व पार्क (Mehrauli Archaeological Park) के करीब स्थित हैं. यहां की कुछ जमीन डीडीए की है, जबकि कुछ अन्य हिस्सों पर पिछले एक दशक में इमारतें और झुग्गियां बनी हैं, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में हैं.
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