Exclusive: AIIMS के डायरेक्टर गुलेरिया बोले- इस महीने के अंत में या नए साल के शुरू में वैक्सीन को अप्रूवल मिल जाएगा
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया, वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में हैं. इस महीने के अंत या अगले साल के पहले महीने में रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाना चाहिए. अगले दो-तीन महीने में वैक्सीन लगने की पूरी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
नई दिल्ली: देश को जल्द ही कोरोना वैक्सीन की सौगात मिलने वाली है. इस बीच एबीपी न्यूज ने दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया से खास बातचीत की. डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है देश के 100 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है. 50 से 60 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगाने के बाद आगे वायरस नहीं फैल पाएगा.
डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, "वैक्सीन लगाने के दो मकसद हैं. एक हम अपनी वोकेलिटी कम करना चाहते हैं. जिन लोगों को कोरोना का ज्यादा खतरा है, उन लोगों को तो वैक्सीन लगनी ही चाहिए. दूसरा- हम कोरोना केस कम करना चाहते हैं, ताकि अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आ जाए. इसके लिए अगर हम देश के 50-60 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगा देते हैं तो वायरस का फैलना रुक जाएगा. वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलेगा. इस तरह कोरोना केस भी काफी कम हो जाएंगे. हमें 100 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी."
"देश में हर जगह वैक्सीन पहुंचेगी" डॉ गुलेरिया ने कहा, 'वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में हैं. इस महीने के अंत या अगले साल के पहले महीने में रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाना चाहिए. अगले दो-तीन महीने में वैक्सीन लगने की पूरी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. देश में हर जगह वैक्सीन पहुंचेगी. अगले साल की शुरुआत में एक नहीं, बल्कि दो-तीन वैक्सीन उपलब्ध होगी. ज्यादा वैक्सीन होगी, तो ज्यादा मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध होगी.'
उन्होंने कहा, "ये नहीं कहा जा सकता है कि अगर आपको एक बार कोरोना हो गया है तो दोबारा अगले छह महीने या सालभर में कोविड नहीं हो सकता. सुरक्षित तरीका यही है कि हम सभी को वैक्सीन लगाएं. चाहें उन्हें कोरोना हुआ हो या नहीं. वैक्सीन लगाने से कोई नुकसान नहीं है, बल्कि फायदा ये होगा कि उसकी इम्युनिटी और बढ़ जाएगी. बेहतर यही होगा कि हम सभी को वैक्सीन दें."
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी बताया, "माना जा रहा है कि नई वैक्सीन लगने के बाद इतनी इम्युनिटी मिल जाएगी कि टोटल प्रोटेक्शन मिल जाए. लेकिन ये भी संभव है कि कुछ वैक्सीन से टोटल प्रोटेक्शन न मिले और कम संक्रमण होने का खतरा दोबारा भी रहे. इसके आंकड़े अभी सामने नहीं आए हैं."
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