नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोग एहतियातन मास्क लगाकर सड़कों पर निकल रहे हैं. इस बीच कल केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डा . हर्षवर्धन ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की गहराती समस्या से निपटने के लिये गुरूवार को बैठक बुलाई. जिसमें सभी संबंधित राज्यों के पर्यावरण मंत्री को आना था लेकिन दिल्ली के मंत्री इमरान हुसैन को छोड़कर कोई भी नहीं आए. सूत्रों के अनुसार, डा. हर्षवर्धन ने राज्यों के रवैये पर बैठक के दौरान नाराजगी जताई.


वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अन्य राज्यों के मंत्री बैठक में क्यों नहीं शामिल हुए? यह सभी राज्यों की समस्या है. मेरा अनुरोध है कि सभी साथ आएं. उसके बाद ही हम समस्या का निदान कर सकते हैं.





अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाए जा रहे पराली को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आज एक खबर के साथ ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार है.





राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के नहीं आने पर हर्षवर्धन ने दुख जताया. उन्होंने कहा है कि वह राज्य सरकारों से इस बारे में बात करेंगे. केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एनसीआर के पांच शहरों दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद में हवा की लगातार खराब हो रही गुणवत्ता के मद्देनजर संबद्ध राज्य सरकारों के साझा प्रयासों की समीक्षा के लिये गुरुवार को पयार्वरण मंत्रियों की बैठक बुलाई थी.


हर्षवर्धन ने बताया कि पांचों शहरों में वायु प्रदूषण संबंधी मानकों के पालन की निगरानी के लिये मंत्रालय द्वारा गठित 41 निगरानी दलों के गत 15 सितंबर से जारी अभियान की रिपोर्ट में किसी भी शहर का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा. इन शहरों में समस्या और उसके कारणों को दूर करने के उपायों और प्रदूषण मानकों के पालन की दर बेहद कम दर्ज की गयी.


दिल्ली में आज भी वायु की गुणवत्ता 'लगभग गंभीर' के स्तर पर है. उत्तर प्रदेश के नोएडा और हरियाणा के फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी वायु की गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर है.


दिशा-निर्देश जारी
केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड ने देशभर में खासतौर पर राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गिरती गुणवत्ता के मद्देनजर निर्माण गतिविधियों के कारण होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए.


एनबीसीसी ने साइट की गतिविधियों और धूल प्रदूषण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जैसे मिट्टी, कंकड़, सीमेंट एवं अन्य निर्माण सामग्री को लाने-ले जाने के लिए बंद वाहनों पर तिरपाल की शीट से ढकना, सीमेंट, फ्लाई ऐश का परिवहन और संग्रहण बंद सिलोस में किया जाना, निर्माण सामग्री को काटने और पीसने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, कार्यस्थल पर काम पूरा होने के बाद मलबा तुरंत हटाना, धूल को उड़ने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव.


सीपीसीबी नियमों के अनुसार, बेरिकेडिंग की जाती है, सभी कार्यस्थलों पर डीजल/पेट्रोल/सीएनजी वाहलों में प्रदूषण के स्तर पर निगरानी रखी जाती है. कंपनी ने अधिकारियों की एक टीम भी बनाई है जो सभी परियोजना स्थलों पर धूल कम करने के लिए सख्त नियमों का पालन करती है और सभी स्थलों पर निगरानी रखती है.


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मास्क लगाकर खेलते दिखे खिलाड़ी
खराब हवा की वजह से कल रणजी मैच में मास्क लगा कर खेलते हुए खिलाड़ियों को देखा गया. इससे पहले 2016 में प्रदूषण के कारण बंगाल और गुजरात के बीच फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में मैच रद्द कर दिया गया था. श्रीलंका के खिलाड़ियों को 2017 में इसी मैदान में भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में मास्क में देखा गया था.