Delhi Pollution Increasing: देश की राजधानी दिल्ली मैं प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. विगत कई सालों से दिल्ली में इस कदर हवा बिगड़ रही है कि यहां रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. दिल्ली में सर्दियों के मौसम में अनगिनत गाड़ियों के बेतहाशा कार्बन उत्सर्जन की वजह से छाने वाली धुंध दिल्ली के लिए दमघोंटू होती है. इसे रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार कई कदम उठा रही है लेकिन कोई लाभ नहीं हो रहा है.


एक दिन पहले गुरुवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण सूचकांक 470 पर था जो सामान्य से करीब नौ गुना अधिक है. दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर रोक के लिए तमाम कदम उठाए जाने के बावजूद किसान ऐसा करने से बाज नहीं आ रहें, जिससे राजधानी का प्रदूषण और बिगड़ सकता है. आइए आज हम आपको बताते हैं केंद्र और राज्य सरकारों ने राजधानी में प्रदूषण रोकथाम के लिए क्या कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.


पराली जलाने पर रोक नहीं हो रही कारगर


दिल्ली के आस पास के राज्यों के खेतों में फसलों के अवशेष (पराली) को जलाने से निकलने वाला धुआं सीधे राजधानी दिल्ली में पहुंचता है जो घनी आबादी की वजह से प्रदूषण को कई गुणा बढ़ाता है. अक्टूबर से दिसंबर का महीना राजधानी के लिए सबसे नुकसान देह होता है क्योंकि इस दौरान खेतों में पराली जलायी जाती है.


सरकार ने पूसा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पराली को खेतों में ही नष्ट करने का उपाय सुझाया लेकिन किसान इसे लेकर जागरूक नहीं हैं. पराली को जलाने की बजाय खेतों में ही गलाने से खेतों की मृदा शक्ति भी बढ़ती है और धुएं की समस्या भी खत्म हो जाती है. पराली को गलाने के लिए केंद्र सरकार मशीनों का वितरण कर रही है. इसके साथ ही, डीकम्पोजिशन, पशु चारे में इसके उपयोग करने से लेकर, बायो फ्यूम में इसके  बदलने के प्रयास किए गए हैं.


पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश से धुएं की वजह से सरकार परेशान


दिल्ली में कृषि योग्य भूमि और किसानों की संख्या बेहद कम है. पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान अभी भी पराली को खेतों में ही जला रहे हैं जिनसे निकला धुंआ राजधानी की हवा को जहरीला बना रहा है.


एयर शेड को कानूनी प्रावधान के रूप में विकसित करने की पहल


दिल्ली के प्रदूषण को देखते हुए एयर शेड की पहचान करने की पहल की गई है. इसके लिए सरकार ने दिल्ली में एक कमिशन बनाया है. इसका मकसद एयर शेड को कानूनी प्रावधान के रूप में विकसित करना रहा है. इससे हवा की गुणवत्ता परखने और विश्लेषण कर कारगर उपाय करने में मदद मिलेगी.


कार्बन उत्सर्जन सबसे घातक


दिल्ली के प्रदूषण के लिए कार्बन उत्सर्जन सबसे घातक है. उद्योग, कंस्ट्रक्शन और वाहन के धुएं हवा को जहरीला बना रहे हैं. सरकार ने राजधानी से प्रदूषण कम करने के लिए पूरे एनसीआर में पीएनजी पर आधारित उद्योग को बढ़ावा दिया है. केंद्र सरकार द्वारा ईस्ट्रन एक्सप्रेस हाइवे और वेस्ट्रन एक्सप्रेस हाइवे बनाया गया है. इससे दिल्ली में बड़ी संख्या में आने वाले कमर्शियल डीजल वाहनों को डायवर्ट करने से प्रदूषण कम हो रहा है.


डीजल वाहनों के लिए बीएस-6 अनिवार्य 


इसके अलावा, दिल्ली के आसपास बीएस 4  से बीएस 6 को अनिवार्य किया गया है. वायु प्रदूषण को रोकने के लिए इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी ग्रीन फ्यूल को प्रोत्साहन देने का काम किया जा रहा है.


ऑड-ईवन फार्मूला कारगर


दिल्ली में 2019 से ऑड-ईवन फार्मूला लागू किया गया है. सर्दियों के मौसम में दिल्ली सरकार इसे लागू करती है.  इस दौरान सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक एक दिन ऑड नंबर और एक दिन ईवन नंबर की गाड़ियां सड़कों पर उतरती हैं. इससे दिल्ली में आधी संख्या में गाड़ियों के चलने की वजह से कार्बन उत्सर्जन कम होता है और प्रदूषण कम होने के आसार रहते हैं. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार इस सीजन में भी प्रदूषण बढ़ने पर ऑड-ईवन लागू कर सकती है.


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