Delhi Air Pollution: दिल्ली में मंगलवार (14 नवंबर) को वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी के करीब पहुंच गई और इससे जल्द राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी का 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शाम 4 बजे 397 रिकॉर्ड किया गया जोकि सोमवार (13 नवंबर) को 358 और रविवार (12 नवंबर) को 218 दर्ज किया गया था.
दिल्ली में पिछले सप्ताह हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया था. हालांकि, शहर के अस्पतालों में सांस संबंधी समस्याओं, लंबे समय तक खांसी, गले में संक्रमण और आंखों में जलन जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में 28 अक्टूबर से शुरू होकर दो सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' से 'गंभीर' तक रही है. इस अवधि के दौरान शहर में दमघोंटू धुंध छाई रही. हालांकि रुक-रुक कर हुई बारिश के कारण शुक्रवार को कुछ राहत जरूर मिली.
इस बारिश के चलते दिल्ली की वायु गुणवत्ता के स्तर में 150 अंक से अधिक का तेजी से सुधार रिकॉर्ड हुआ था. रविवार (12 नवंबर) को हुई जोरदार आतिशबाजी के बाद प्रदूषण ने रफ्तार पकड़ ली. इस बीच प्रदूषण में वृद्धि को लेकर सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक खांसी, गले में संक्रमण, आंखों में जलन, नाक से स्राव और अस्थमा के मामलों में बढ़ोतरी जारी है.
'दो दिन बेहतरी के बाद दिवाली बाद बिगड़ा AQI'
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि अक्सर त्योहारों के दौरान लोग अस्पतालों में जाने से बचते है. इसकी वजह से बाह्य-रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई थी. हमने बमुश्किल दो दिन बेहतर एक्यूआई देखा, लेकिन दिवाली के बाद यह फिर से खराब हो गया. इससे अब ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है.
फोर्टिस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी सलाहकार डॉ ऋचा सरीन ने भी कहा कि ओपीडी के लिए शायद ही यह कोई राहत अवधि थी. इस दौरान तीन दिनों तक AQI तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा और फेस्टिवल के मौके पर लोगों को दिक्कतें नहीं हुई. उन्होंने कहा कि त्योहार के दिनों में कोई भी अस्पतालों आना नहीं चाहता.
'खांसी, आंखों में जलन, गले की समस्या के मरीज बढ़े'
उन्होंने कहा कि फोर्टिस अस्पताल में लंबे समय तक खांसी, आंखों में जलन, गले में संक्रमण और सांस संबंधी समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं. उन्होंने लोगों से बाहर निकलते समय मास्क पहनने जैसी सभी सावधानियां बरतने को कहा और उन्हें सुबह-सुबह टहलने या व्यायाम के लिए बाहर निकलने के प्रति सचेत किया है.
13 नवंबर को दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना
इस बीच देखा जाए तो स्विस कंपनी IQAir के अनुसार, दिवाली के अगले दिन सोमवार (13 नवंबर) को दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर था. इसके बाद पाकिस्तान के लाहौर और कराची शहर सबसे प्रदूषित रहे.
'मरीजों की संख्या में गिरावट के लिए 10 दिन तक हवा में सुधार जरूरी'
होली फैमिली अस्पताल के चिकित्सा निदेशक और क्रिटिकल केयर प्रमुख डॉ सुमित रे ने कहा कि ओपीडी में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और ब्रोंकाइटिस के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है.
उनका कहना है कि हवा की गुणवत्ता में 10 दिन तक लगातार सुधार रहने के बाद ही इस तरह के मामलों में गिरावट आने की उम्मीद होगी. रे ने कहा कि हवा की गुणवत्ता खराब होने से संक्रमण तेजी से फैलता है, लेकिन सुधार के नतीजे दिखने में समय लगता है.
'LNJP की ओपीडी के मामलों में 5 फीसदी की बढ़ोतरी'
दिल्ली सरकार के एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुरेश कुमार का कहना है कि जब वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ तो हमने सांस फूलने और अस्थमा की समस्या के साथ आने वाले लोगों के मामलों में कोई गिरावट नहीं देखी. दरअसल, दिवाली के बाद हमारी ओपीडी में आने वाले ऐसे मामलों में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अस्पताल में आने वाले मरीजों में अधिकतर बुजुर्ग हैं.
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