ठंड का मौसम आते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण चुनौती बन जाता है. प्रदूषण से निपटने के लिए इस बार दिल्ली सरकार ने दिल्ली के लिए विंटर एक्शन प्लान बनाने की घोषणा की है. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मिलकर एक जॉइंट एक्शन प्लान बनाने की बात भी कही है.
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार के विंटर एक्शन प्लान में किन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और पराली से होने वाले प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों से क्या बातचीत की जा रही है.
विंटर एक्शन प्लान में 3 पहलुओं पर होगा फोकस-
गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली सरकार लगातार काम कर रही है लेकिन ठंड के मौसम में काफी गंभीर स्थिति हो जाती है. उस समय जो मौसम की स्थिति होती है उसमें हवा स्थिर हो जाती है और उसकी वजह से वाहनों से होने वाले प्रदूषण, डस्ट पॉल्युशन और खासतौर से पराली का धुआं जो दिल्ली में छा जाता है उससे एक दम घोंटने वाला माहौल पैदा हो जाता है.
विंटर एक्शन प्लान में 3 चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, प्रदूषण से लड़ने के अब तक जो प्रयास हमने किए हैं उन प्रयासों में क्या-क्या कमियां थी, उसको कैसे ठीक किया जाए. दूसरा जनता की सहभागिता कैसे और बढ़ाई जाए और तीसरा पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से पराली की समस्या का हल निकालना. उन्होंने ने कहा कि पराली से निजात के लिए पिछले साल हमने दिल्ली में बायो डिकंपोजर का प्रयोग किया, जिसमें किसान का एक पैसा नहीं लगता. सरकार ने छिड़काव किया और उसके 2 फायदे हुए पराली गल गई और किसान के खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ाई गई.
गोपाल राय ने कहा कि हम अभी से पराली पर काम करना चाहते हैं क्योंकि कटाई के बाद और बुवाई के बीच में समय बहुत कम होता है. हम चाहते हैं कि इस लड़ाई में एक संयुक्त अभियान चले दिल्ली एनसीआर से लगे राज्यों के बीच और इसमें केंद्र सरकार एक अहम रोल अदा करे. इसमें एक साझा होलिस्टिक प्लान बनाने की ज़रूरत है जिससे हर मोर्चे पर काम हो. हम दिल्ली की जनता के साथ भी मिलकर काम करेंगे, केंद्र सरकार के साथ भी और अन्य राज्यों के साथ भी क्योंकि यह प्रदूषण की समस्या दिल्ली की अलग समस्या नहीं है. सामूहिक प्रयास से ही इससे निजात पाया जा सकता है.
केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर सामूहिक प्रयास हो-
गोपाल राय ने कहा कि हम केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से मीटिंग करेंगे उसमें पराली एक अहम मुद्दा होगी, लेकिन इसके अलावा प्रदूषण के समय में एनसीआर में एंटी डस्ट कैंपेन की सघनता से जरूरत है. जैसे ईंट भट्ठे हैं उन पर कार्रवाई करने की जरूरत है, प्रदूषित बिजली उत्पादन संयंत्र जो आसपास के राज्यों में है उन पर कार्रवाई की ज़रूरत है. इन सभी चीजों से निपटने का एक सामूहिक प्रयास हो और केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें. एक सहयोगात्मक अप्रोच के साथ काम करना यह आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है.
पराली की समस्या के लिए राज्य सरकारें ज़िम्मेदार-
पड़ोसी राज्यों में लगातार पराली जलाने की घटनाओं को लेकर गोपाल राय ने राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि पराली जलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है. दिल्ली में हमने प्रयोग किया किसानों का एक पैसा खर्च नहीं हुआ और उसके खेत की उर्वरक क्षमता जो बढ़ गई, तो कोई किसान क्यों नहीं मानेगा. अगर पराली जलाने की कोई घटना घटी तो उसको मॉनिटर क्यों नहीं किया जा सकता है.
बायो डिकंपोजर के उपयोग से इसको अगर हम समय रहते प्रोक्योरमेंट का छिड़काव का सिस्टम बनाएं, अभी सरकार यह पहल करती है तो उसमें किसान के लिए खुशी की बात है. किसान को किसी तरह का एतराज नहीं होगा. पिछले साल जब दिल्ली में हमने यह प्रयोग किया और उसके बाद हरियाणा और पंजाब के अधिकारी आए थे उन्होंने अपनी टीम भेजी थी इसका प्रभाव देखने के लिए.
केंद्र सरकार के अधीन बने जॉइंट एक्शन प्लान-
गोपाल राय ने कहा कि अभी समय रहते सक्रिय होने की जरूरत है. राज्य सरकारों से हम संपर्क में हैं लेकिन जो राष्ट्रीय आयोग बना है वह पहल करें इसके लिए हमने पिटीशन भी वहां दायर की थी सभी रिपोर्ट सबमिट की थी. आयोग ने हमें कहा था इसका थर्ड पार्टी ऑडिट कराइए जो हमने करा दिया है. जल्दी उसकी रिपोर्ट आने वाली है रिपोर्ट आने के बाद हम हम उसको दोबारा सबमिट करेंगे जिसके आधार पर हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार पहल करे.
सकारात्मक माहौल में एक ज्वाइंट एक्शन प्लान बनाना चाहिए कि कौन सी राज्य सरकार क्या काम कर सकती है. दिल्ली को जो सहयोग देने की जरूरत है वह हम दूसरे राज्यों को भी देंगे और दिल्ली में जो काम करने की जरूरत है वह भी करेंगे.
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