दीवाली से पहले दिल्ली की हवा 'बेहद खराब', क्लाउड सीडिंग पर विचार, ट्रकों पर लग सकता है प्रतिबंध
दिल्ली प्रदूषण: क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया होती है जिसके तहत सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक सहित विभिन्न रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल करके वर्तमान बादलों को घना बनाया जाता है जिससे वर्षा या बर्फबारी की संभावना बढ़ती है.
नई दिल्ली: दिल्ली में हवा की क्वालिटी (गुणवत्ता) लगातार 'बेहद खराब' बनी हुई है. ऐसे में आज दिवाली पर राजधानी में प्रदूषण और अधिक बढ़ने की आशंका है. यानि दिल्ली वासियों को सांस, आंखों में तकलीफ से जूझना पड़ सकता है. दिल्ली के 25 इलाकों में कल वायु की गुणवत्ता ‘काफी खराब’ दर्ज की गई जबकि आठ क्षेत्रों में यह ‘खराब’ रही. विशेषज्ञों ने आगाह किया कि इस दिवाली पर पिछले साल की तुलना में "कम प्रदूषणकारी पटाखे" जलाए जाने के बाद भी प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ सकता है.
प्रदूषण की बड़ी वजह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने वाले क्षेत्रों से लगातार हवा बहकर आना है. प्रदूषण की निगरानी करने वाली संस्था सीपीसीबी ने 8 से 10 नवंबर तक शहर में ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने लोगों से आज पटाखा मुक्त दिवाली मनाने की अपील करते हुए प्रदूषण कम करने में सहयोग की अपील की. पर्यावरण मंत्रालय के बाहर लोगों ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर के विरोध में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को एक पत्र सौंप "सांस लेने के अधिकार" की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में स्वच्छ हवा कार्यक्रम के जल्द क्रियान्वयन की मांग की.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने कहा कि वह दिल्ली में खतरनाक प्रदूषण से निपटने के लिए दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने पर विचार कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि वे मौसमी स्थितियों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं और उसके बाद कृत्रिम वर्षा के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ की जाएगी.
सीपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे दिवाली के बाद कृत्रिम वर्षा कराने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर और भारतीय मौसम विभाग से बातचीत कर रहे हैं. दिवाली के बाद प्रदूषण के ‘‘गंभीर से अधिक आपातकालीन’’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है.
क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया होती है जिसके तहत सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और नमक सहित विभिन्न रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल करके वर्तमान बादलों को घना बनाया जाता है जिससे वर्षा या बर्फबारी की संभावना बढ़ती है.
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आईआईटी कानपुर के एक प्रोफेसर ने कहा कि मौसमी परिस्थितियों के कृत्रिम वर्षा के लिए अनुकूल होने की निगरानी की जा रही है. वर्ष 2016 में सरकार ने कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग की संभावना का पता लगाने का प्रयास किया लेकिन योजना काम नहीं कर पायी. गत वर्ष सरकार ने हेलीकाप्टर से पानी का छिड़काव का प्रस्ताव किया ताकि धूल में कमी लायी जा सके.
दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले तीन सप्ताह में काफी खराब हो गई है. सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस मौसम की सबसे खराब दर्ज की गई. शहर में प्रदूषण तय स्तर से आठ गुना ज्यादा दर्ज किया गया. चिकित्सकों का कहना है कि वायु प्रदूषण का लोगों की सेहत पर असर एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है. सीपीसीबी के आंकड़ों के अनसार दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार को 320 दर्ज किया गया. यह "बेहद खराब" श्रेणी में आता है.
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