नई दिल्ली: देश की राजधानी की वायु गुणवत्ता गुरुवार को आठ महीनों में सबसे निचले स्तर पर रही. शहर के पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी केवल छह फीसदी रही. दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 312 रहा. इस साल इससे पहले हवा की गुणवत्ता का इतना खराब स्तर फरवरी में था. दिल्ली के अलीपुर और वाजीपुर में सबसे खराब AQI 323 और लोधी रोड पर सबसे सही AQI 161 शुक्रवार सुबह 6 बजे दर्ज किया गया.


आज सुबह दिल्ली के बाकी इलाकों का हाल




  • आनंद विहार- 261

  • रोहिणी- 274

  • आरके पुरम- 246

  • विवेक विहार- 297

  • ओखला फेज2- 240

  • सोनिया विहार- 284

  • द्वारका सेक्टर 8- 281


दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर गुरुवार शाम पांच बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गया जो इस मौसम में अबतक सबसे ज्यादा है. भारत में पीएम10 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे सुरक्षित माना जाता है.


बता दें, 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.


प्रदूषण पर नजर रखने के लिए 50 टीमें तैनात की
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा प्रदूषित स्थलों (हॉटस्पॉट) पर नजर रखने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमें तैनात की और पंजाब सरकार से पराली जलाने पर रोक लगाने की भी अपील की. हालांकि उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायू प्रदूषण के लिए पराली जलाया जाना बड़ा कारण नहीं है.


सीपीसीबी के 50 दल 15 अक्टूबर से अगले साल 28 फरवरी तक दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषित स्थलों पर नजर रखेंगे. वो दिल्ली, उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद मेरठ, हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, झज्जर, पानीपत, सोनीपत, राजस्थान के भिवंडी, अलवर और भरतपुर जाएंगे.


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