दिल्ली की एयर क्वालिटी में मामूली सुधार, 3 नवंबर को फिर बिगड़ेंगे हालात
सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली के 10 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ जबकि 23 इलाकों में 'बहुत खराब' दर्ज की गई.
नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता में बुधवार को मामूली सुधार देखा गया और हवा की रफ्तार बढ़ने और प्रदूषकों के बिखरने के बाद वह “बेहद खराब” की श्रेणी में दर्ज की गई. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि हालात 3 नवंबर से और खराब हो सकते हैं. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली का पूरा वायु गुणवत्ता सूचकांक 366 दर्ज किया. केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और शोध प्रणाली (सफर) के एक अधिकारी ने बताया कि वायु गुणवत्ता में सुधार को सुबह तेज हवा के चलने से जोड़ा जा सकता है.
अधिकारी ने कहा कि सुबह हवा की रफ्तार बढ़ी थी जो राहत बनकर आयी. इससे प्रदूषक कण तेजी से बिखरे और वायु गुणवत्ता गंभीर से फिर से बेहद खराब श्रेणी की तरफ आई. सफर ने कहा कि अगले दो दिनों के लिए एक्यूआई बढ़ सकता है लेकिन वह “बेहद खराब” की श्रेणी में ही बना रहेगा. सफर ने कहा, “पश्चिमी हिमालय में आज पहुंच रहे वेस्टर्न डिस्टर्बन्स के बाद के असर के चलते तीन नवंबर को वायु गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है.”
संस्थान ने कहा, “पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन ऊपरी हवा की गति धीमी होने के कारण यह दिल्ली की हवा को मामूली रूप से प्रभावित करेगा. सतही हवाएं फिर से शांत और हवा के प्रवाह को लंबे समय तक रोके रखने की दिशा में जा रही हैं.” गुरुग्राम में वायु गुणवत्ता एक्यूआई 416 के साथ “गंभीर” दर्ज की गई जबकि गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यह “बेहद खराब” दर्ज की गई. सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली के 10 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ जबकि 23 इलाकों में 'बहत खराब' दर्ज की गई.
बुधवार को हवा में घुले हुए अतिसूक्ष्म प्रदूषक कण पीएम 2.5 को 215 दर्ज किया गया. वहीं पीएम10 की मौजूदगी 370 दर्ज की गई. पीएम 10 की तुलना में पीएम 2.5 स्वास्थ्य के लिये अधिक खतरनाक होता है. शून्य से 50 के एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है जबकि 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 एवं 200 को ‘सामान्य’, 201 एवं 300 को ‘खराब’, 301 एवं 400 को ‘बेहद खराब’ और 401 एवं 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है.
राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की मोटी परत छाई रही और अधिकारियों के मुताबिक अगले तीन दिनों तक स्थिति ऐसी ही रहेगी. मंगलवार को शहर में इस मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई थी और प्रदूषण स्तर 401 के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया, जिसके कारण अधिकारियों ने निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के अलावा कोयला और जैव ईंधन से संचालित उद्योगों के कामकाज पर एक नवंबर से 10 नवंबर तक रोक लगा दी.
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण स्तर के बिगड़ने का सिलसिला जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण निजी वाहनों के इस्तेमाल को नियंत्रित करने पर विचार कर रहा है. ईपीसीए ने दिल्लीवासियों से नवंबर के शुरुआती 10 दिनों में सार्वजनिक यातायात के साधनों का प्रयोग करने के लिए कहा है. ऐसी आशंका है कि इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता और बिगड़ सकती है.