दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर पहुंचा 41, लॉकडाउन और बारिश के कारण दिल्लीवालों ने उठाया साफ हवा का लुत्फ!
इस साल अगस्त में 4 ऐसे दिन रहे जब AQI 'गुड केटेगरी' में दर्ज किया गया. प्रकर्ति खुल कर सांस ले रही है.
![दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर पहुंचा 41, लॉकडाउन और बारिश के कारण दिल्लीवालों ने उठाया साफ हवा का लुत्फ! Delhi air quality remains in good category as overall AQI drops to 41 ANN दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर पहुंचा 41, लॉकडाउन और बारिश के कारण दिल्लीवालों ने उठाया साफ हवा का लुत्फ!](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2017/07/30164834/india_gate.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: प्रकर्ति का खेल अनूठा है, किसी भी प्रकार के असुंतलन का हल वह खुद ही ढूंढ लेती है जिसके सामने मनुष्य एकदम कमजोर पड़ जाता है. पिछले कई महीनों से देश और दुनिया कोरोना महामारी के संकट से झूझ रही है, इसके चलते जिंदगियां भी कहीं न कही थम गईं. व्यापार, इंडस्ट्रीज और अन्य काम काज सभी ठप पड़ गए. अब अनलॉक फेस जारी कर दिए गए हैं लेकिन इस बीते हुए समय मे जब सब रुक गया था उसके चलते हवा की गुणवत्ता को कहीं न कहीं बहुत ही फायदा पहुंचा.
आज हाल यह है कि अगस्त महीने का average AQI 64 रिकॉर्ड हुआ, जिसमें 31 अगस्त को अभी तक के सबसे कम आंकड़े को रिकॉर्ड किया गया- 41. पिछले साल अगस्त महीने में average AQI 86 दर्ज किया गया था.
आंकड़ों की अगर बात करें तो पिछले साल के मुकाबले, जब एक भी दिन 'गुड केटेगरी' में नहीं था, इस साल अगस्त में 4 ऐसे दिन रहे जब AQI 'गुड केटेगरी' में दर्ज किया गया. तो जहां आज आप और हम मास्क पहनकर सांस लेने पर मजबूर हो गए हैं, वहीं प्रकर्ति खुल कर सांस ले रही है. DPCC (Delhi Pollution Control Com mittee) की माने तो इसका मुख्य कारण लॉकडाउन ही रहा.
तेजी से गिरा प्रदूषण इन आंकड़ों को देखते हुए हमने कई एनवीरोंमेंटलिस्ट्स से भी बात की. अनुमिता रॉय चौधरी (CSE) का कहना है, 'जो कल आंकड़े आए हैं उसे देखकर साफ तौर से नजर आता है कि प्रदूषण बहुत ही तेजी से गिरा और कहा जा रहा है कि 31 अगस्त को यह जो आंकड़े आये हैं वह राजधानी की पिछले कई सालों तक की शायद सबसे साफ हवा की गुणवत्ता के आंकड़े हैं.'
वह कहती हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन ही रहा. लॉकडौउन का बारिश का मौसम आने से पहले जो समय रहा तभी देख लिया गया था कि हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार आया. सब कुछ बंद पड़ा था. उद्योग बन्द था, गाड़िया बन्द थी, कंस्ट्रक्शन बन्द था और उसके कारण प्रदूषण काफी गिर चुका था. इसके बाद लॉकडौउन से जैसे ही देश, राजधानी ने बाहर निकलना शुरू किया तो बारिश का मौसम भी आ गया. इसी कारण AQI में और भी गिरावट देखी गयी.
लेकिन अब वह यह भी कहती हैं कि मुख्य सवाल अब यही खड़ा होता है वह यह है कि, इस स्थिति को आखिर कैसे बनाए रखें. क्योंकि बारिश खत्म होते ही सर्दियों का समय आ जाएगा और हर साल जैसे कि हम सब जानते हैं प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ जाता है, हवा जानलेवा हो जाती है. अब सवाल यही है कि क्या इस बार हम ऐसा होने से रोक पाएंगे?
प्रदूषण का स्तर कैसे कम किया जा सकेगा इसे कैसे हासिल किया जा सकता है उसके लिए वह कहती हैं, "यह कई चीजों पर निर्भर करेगा जैसे कि सर्दियों के समय लॉकडाउन कि स्थिति क्या होगी और सबसे अहम चीज होगी हमारी तैयारियां, और एक्शन प्लान. आज तो प्लान्स का जिक्र किया जा रहा है, एक है इमरजेंसी प्लान की जब सर्दियों के समय एकदम से प्रदूषण बढ़ता है तब हम तत्कालीन स्थिति में क्या करें और अभी एक ओनगोइंग comprehensive एक्शन प्लान है. इस प्लान को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने की जरूरत है. जिन बातों पर खास ध्यान देना होगा वो है कि गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कैसे कम किया जाए? पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं को बढ़ाना होगा, सभी कोविड प्रोटोकोल्स को मद्दे नजर रखते हुए. उद्योग के क्षेत्र में साफ ईंधन की सुविधाएं बढ़ानी होंगी और जो कूड़ा दिल्ली में जलाया जाता है उसे रोकने होगा."
इन सभी मे से बहुत से कदम उठाए जा चुके हैं लेकिन अब उन्हें 'स्केल अप' करने की जरूरत है.
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