Delhi Airport: केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार (14 जुलाई) को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार कार्य के तीसरे चरण का उद्घाटन किया. इसके तहत दिल्ली एयरपोर्ट के चौथे रनवे की शुरुआत की गई और देश के पहले एलिवेटेड टैक्सी वे यानी आईजीआई एयरपोर्ट के ईस्टर्न क्रॉस टैक्सी वे का भी शुभारंभ किया गया. दिल्ली एयरपोर्ट देश का पहला एयरपोर्ट है जिसमें चौथे रनवे की शुरुआत हुई है.
दिल्ली एयरपोर्ट पर भारत के पहले एलिवेटेड टैक्सी-वे का निर्माण किया गया है. देश में पहली बार एलिवेटेड फ्लाईओवर पर यात्री विमान का परिचालन शुरू किया गया है. इस एलिवेटेड टैक्सी वे को ‘आईजीआई ईस्टर्न क्रॉस टैक्सी वे’ का नाम दिया गया है. इस टैक्सी वे के एलिवेटेड फ्लाईओवर से विमानों के आवाजाही में टी 1 से टी 3 की दूरी काफ़ी कम हो गई है.
जानिए एलिवेटेड टैक्सी वे की खासियत
भारत में पहली बार एलिवेटेड फ्लाईओवर पर प्लेन चलते हुए नजर आएगा. एलिवेटेड टैक्सी-वे 2.1 किलोमीटर लंबा और 202 मीटर चौड़ा है. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने इसका निर्माण करवाया है. इसे 8 मीटर ऊचे पुल पर बनाया गया है. जिसका आधार 156 चौड़े खंभों पर टिका है. इसके निर्माण में 590 स्टील के गार्डर का उपयोग किया गया है. जिनमें से प्रत्येक का वजन 90 मीट्रिक टन है. ये स्ट्रक्चर भूकंप और विस्फोटकों के झटकों को भी सहन कर सके इसका ख़्याल रखते हुए इसे बनाया गया है.
यह नवनिर्मित टैक्सी-वे ए-380 जैसे बड़े विमानों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करता है. यानी सबसे भारी विमान भी इस पर चल सकेंगे. इससे एक समय में दो ऐसे विमान गुजर सकते हैं. इसकी विशेषता यह है कि इसमें दो लेन हैं, प्रत्येक 44 मीटर चौड़ी है. इनके बीच में 47 मीटर की दूरी है. इसके ऊपर किसी इमरजेंसी की स्थिति में विमान की मौजूदगी के दौरान फायर, एंबुलेंस और टो-ट्रैक्टर के पहुंचने के लिए सर्विस लेन भी बनाए गए. इसके ऑपरेशनल हो जाने पर अब टर्मिनल-1 और टर्मिनल-3 आपस में सीधे जुड़ गए हैं.
उड़ानों के संचालन में देरी की समस्या से मिलेगी निजात
इस एलिवेटेड टैक्सी वे से उड़ानों के संचालन में देरी की समस्या से काफ़ी हद तक निजात मिल गई है. दिल्ली एयरपोर्ट पर विमानों को एटीसी की सुविधा से किसी भी रनवे पर उतारा जा सकता है. ऐसे में अक्सर टर्मिनल-1 के हवाई जहाज़ को टर्मिनल-3 के पास के रनवे पर उतारा जाता है.
इसके बाद इस हवाई जहाज़ को ज़मीन पर 9 किलोमीटर चल कर अपने टर्मिनल पर जाना पड़ता है. जिसमें 50 से 60 मिनट तक का समय लग जाता था. अब एलिवेटेड टैक्सी वे बन जाने से ये दूरी सिर्फ़ 2 किलोमीटर की रह गई है जिससे क़रीब 20 मिनट में ही विमान अपने टर्मिनल तक पहुंच पाएगा.
दिल्ली एयरपोर्ट को चलाने वाली कंपनी जीएमआर ने 2030 तक आईजीआई एयरपोर्ट पर कार्बन उत्सर्जन को जीरो तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इस टैक्सी-वे का उपयोग कर विमान को टर्मिनल-3 से टर्मिनल-1 तक जाने में कम दूरी तय करनी होगी. इससे एक बार में लगभग 350 लीटर एविएशन फ्यूल की बचत होगी. इससे होने वाले करीब 1114 किलो CO-2 के उत्सर्जन में कमी आएगी. जबकि सालाना 55000 टन CO-2 के उत्सर्जन में कमी आएगी.
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