नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने राजधानी दिल्ली के पीरागढ़ी इलाके में एक और फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर विदेशों में कॉल करके ठगी करने के आरोप में 42 लोगों को गिरफ्तार किया है. साइबर सेल के मुताबिक, इस फर्जी कॉल सेंटर ने अबतक करीब 3500 लोगों के साथ ठगी कर 70 करोड़ का चूना लगाया. साइबर सेल की मानें तो फेक कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी खुद को जांच एजेंसियों का अधिकारी बताते थे और डरा धमकाकर लोगों से बिटकॉइन और गिफ्ट कार्ड के जरिए पैसे मंगवाते थे.


पुलिस ने जिन 42 लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें 26 लड़के और 16 लड़कियां हैं. पुलिस ने कॉल सेंटर से 90 डिजिटल डिवाइस और साढ़े 4 लाख रुपये भी बरामद किए हैं. साइबर सेल के मुताबिक ये कॉल सेंटर करीब 3 साल से चल रहा था.


साइबर सेल के डीसीपी अनयेश रॉय ने बताया कि इन फर्जी कॉल सेंटर के कर्मचारियों को विदेशी नागरिकों के सोशल सिक्युरिटी नंबर का डेटा और फ़ोन नंबर दिए जाते थे. इसके बाद यहां काम करने वाले कर्मचारी विदेशों में बैठे लोगों को वॉइस मेल के जरिए प्री रिकॉर्डिड मेसेज भेजते थे. जब कोई विदेशी नागरिक उसपर रिस्पांड करता था तो कॉल भारत में आती थी. उनको बताया जाता था कि सोशल सिक्योरिटी नंबर के एडमिन की तरफ से बात की जा रही है और आपका जो नम्बर है वो क्राइम सीन पर पाया गया है. उससे जो भी बैंक एकाउंट लिंक है वो सीज हो जाएगा. गिरफ्तारी की धमकी दी जाती थी.



दरसअल, साइबर सेल की टीम पिछले कई दिनों से ऐसे ही फेक कॉल सेंटर्स की जांच में जुटी थी. इसी जांच के दौरान साइबर सेल की टीम को जानकारी मिली कि पीरागढ़ी इलाके में एक फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा इस जानकारी को पहले पुख्ता किया गया और उसके बाद मामला दर्ज कर कॉल सेंटर पर रेड की गई. रेड के दौरान कॉल सेंटर में अफरातफरी मच गई. जब वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की गई, कागजात और सर्वर की छानबीन की गई तो ये साफ हो गया कि कॉल सेंटर फर्जी है. तुरंत कार्रवाई करते हुए साइबर सेल की टीम ने 42 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.


डीसीपी साइबर सेल अनयेश रॉय के मुताबिक कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को बाकायदा एक स्क्रिप्ट दी जाती थी उसी स्क्रिप्ट के आधार पर ये लोग अमेरिका में कॉल करते थे. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के मुताबिक ये लोग खुद को जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते थे और किसी भी लीगल केस में फंसाने की धमकी देते थे पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो अलग अलग तरीकों से कॉल करते थे. फ़ोन करके विदेशियों से कहते थे कि उनके एकाउंट का ड्रग माफियाओं से कनेक्शन मिला है. जिसके कारण उन पर केस चलेगा और बैंक एकाउंट फ्रीज हो जाएगा. इस दौरान उनके बैंक की डिटेल ले लेते थे. इसके बाद उनका बैंक एकाउंट खाली कर दिया जाता था.


पुलिस के मुताबिक फेक कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को ये बात अच्छे से पता था कि वो लोग विदेशी लोगों को चुना लगा रहे है. लेकिन ज्यादा पैसों के लालच में वो लोग ये काम कर रहे थे. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि इस फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों की सैलरी अलग अलग थी.


धोखाधड़ी के पहले लेवल पर काम करने वाले को 20 से 25 हज़ार दिए जाते थे. दूसरे लेवल के लिए 45 से 50 हज़ार और शिफ्ट मैनेजर के को 75 हज़ार रुपये दिए जाते थे. इतना ही नहीं इन्हें इंसेंटिव भी दिया जाता था. साइबर सेल के मुताबिक सबसे इस गैंग ने सबसे ज्यादा अमेरिका के लोगों को शिकार बनाया है. साइबर सेल ने फेक कॉल सेंटर से 90 डिजिटल डिवाइस और मोबाइल फोन बरामद किए है. साइबर सेल को जांच के दौरान ये भी पता चला कि यूएस नागरिकों का डेटा इन्हें प्रोवाइड किया जाता था. वो कौन है जो इन्हें डेटा दे रहा था उसकी भी तलाश की जा रही है.


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