Cardiac Valve Replacement In Army Hospital: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित 'सेना अस्पताल अनुसंधान और रेफरल' (Army Hospital Research & Referral) ने बगैर सर्जरी के मरीज के दिल में वॉल्व बदलने में सफलता हासिल की है. अस्पताल की बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी टीम (Pediatric Cardiology Team) ने अनूठी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मरीज के हृदय में वॉल्व को बदला. यह सफल इलाज कुछ दिन पहले ही (20 अप्रैल) किया गया. 


बताया गया कि मरीज का जन्म हृदय की जटिल समस्या के साथ ही हुआ था. बेहद कम उम्र में ही उसे ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरना पड़ा था, जिसके कारण उसके दिल के एक वॉल्व में गंभीर रिसाव होने लगा था. मरीज के दिल के वॉल्व को बदलने की जरूरत थी, जो कि अब तक एक बेहद जोखिम वाली ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से किया जा रहा था. बार-बार की जाने वाली ऐसी सर्जरी बेहद पीड़ादायी होती है, यहां तक की मरीज की जान तक जाने का जोखिम होता है. वहीं, अगर वॉल्व का रिप्लेसमेंट जल्द न किया जाए तो भी यह समस्या जानलेवा हो सकती है. 


ऐसे किया जाता है वॉल्व का रिप्लेसमेंट


पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम की ओर से मरीज की कमर (पेट और जांघ के बीच वाले हिस्से) में एक छोटा सा छेद करके हृदय में वॉल्व को प्रत्यारोपित करने का काम किया गया, जिसमें सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी, न ही कोई मेडिकल समस्या पैदा हुई. चूंकि सर्जरी नहीं हुई तो छाती पर सर्जिकल निशान भी नहीं पड़े. इस इलाज के बाद मरीज को 2-3 दिन अस्पताल में भर्ती रखा जाता है.


इस मामले में देश में पहली बार हुआ यह काम


बताया गया कि जिस मरीज के हृदय में वॉल्व बदला गया है, उस आयु वर्ग में इस तरह के इलाज की प्रक्रिया का इस्तेमाल देश के किसी सरकारी क्षेत्र (जिसमें सशस्त्र बल भी शामिल हैं) में पहली बार किया गया, जिसकी खूब सराहना हो रही है. उम्मीद की जा रही है कि देश के अन्य सरकारी संस्थान भी इस प्रक्रिया को करने के लिए आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल से प्रेरित होंगे.


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