पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट से हराने वाले अरविंद केजरीवाल शनिवार (8 फरवरी, 2025) को एक दशक बाद शिकस्त मिली है. 2013 में पहली बार वह यहां से विधायक बने और 2020 तक उनकी जीत का सिलसिला कायम रहा, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवेश वर्मा ने उन्हें मात दी है. शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे. हालांकि, वह भी हार गए हैं, लेकिन अपनी मां की हार का बदला उन्होंने आप से ले लिया.
अरविंद केजरीवाल चार हजार से ज्यादा वोटों से हारे हैं, जबकि संदीप दीक्षित को कुल 4,541 वोट मिले हैं. अरविंद केजरीवाल जिस सीट पर शीला दीक्षित को हराकर विधायक बने थे, एक दशक बाद वह वो सीट हार चुके हैं.
चुनाव प्रचार के दौरान संदीप दीक्षित अक्सर अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते नजर आए थे. उन्होंने दिल्ली सरकार की नीतियों को लेकर आप पर खूब हमला बोला. उन्होंने कहा था कि केजरीवाल जो अपना काम गिनवाते हैं, वह रिकॉर्ड के साथ बात करें. चुनाव प्रचार के दौरान वह लगातार आप सरकार की कमियों को मीडिया में पूरी ताकत से उठाते रहे. झूठ बोलने, दिल्ली की जनता को गुमराह करने के आरोप भी उन्होंने केजरीवाल पर लगाए.
2013 में जब अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था तो उन्होंने इसे आम आदमी की जीत बताया था. जीत के बाद अरविंद केजरीवाल ने जनता के बीच आकर कहा था- चुनाव कौन जीता? एक आम आदमी, यह एक आम आदमी है. उन्होंने कहा था, 'उनकी पार्टी ने दिखा दिया कि राजनीति अब भ्रष्टाचार या सांप्रदायिकता की बंधक नहीं रहेगी. जनता ने दिखा दिया कि अगर पुरानी पार्टियां अगर इसे नहीं समझती हैं, तो जनता उन्हें निरर्थक बना सकती है.' 2013 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को 22 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था. उस साल आप के 28 उम्मीदवार जीते थे.