पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पारित
Rakesh Asthana News: राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान आप नेता और मंत्री सत्येंद्र जैन ने कई सवाल उठाए और कहा कि नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की गई है.
Rakesh Asthana News: दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद पर आईपीएस राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली विधानसभा ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसमें गृह मंत्रालय से अस्थाना की नियुक्ति वापस लेने की मांग की गई है. दिल्ली के गृह मंत्री और आप नेता सत्येंद्र जैन ने विधानसभा में कहा कि BJP कहना चाहती है कि मोदी सरकार ने अभी तक जितने भी कमिश्नर लगाए, सब नाकारा, निकम्मे थे और 7 साल में पहली बार अच्छा ऑफिसर लाएं हैं.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि डीजी लेवल की नियुक्ति में 6 महीने का कार्यकाल बचा होना चाहिए, राकेश अस्थाना का 4 दिन का कार्यकाल बचा था. बता दें कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति को खारिज करने को लेकर विधायक संजीव झा ने प्रस्ताव दिल्ली विधानसभा में पेश किया था.
बुराड़ी से विधायक संजीव झा ने कहा कि आज गुजरात कैडर के व्यक्ति को देश की राजधानी की पुलिस का हेड बनाया जा रहा है. इनको दिल्ली में हो रहे अपराध की चिंता नहीं है. अगर होती तो AGMUT कैडर से नियुक्ति की जाती. क्या इस कैडर में सक्षम ऑफिसर नहीं है?
इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बीजेपी के विधायकों ने जमकर हंगामा किया. इसके बाद BJP विधायक ओपी शर्मा को पूरे दिन के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के गुजरात कैडर के वरिष्ठ अधिकारी राकेश अस्थाना ने बुधवार को दिल्ली के पुलिस आयुक्त का पदभार संभाला था. इससे एक दिन पहले मंगलवार को गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे. वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे.
अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई थी. उनका कार्यकाल एक साल का होगा. इस तरह के बहुत कम उदाहरण हैं, जब अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से बाहर के किसी आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया हो.
उन्नीस सौ चौरासी बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक रह चुके हैं. सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उनका जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ विवाद हो गया था जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. दिलचस्प है कि वर्मा सीबीआई निदेशक बनने से पहले दिल्ली पुलिस के आयुक्त थे.
जून के अंत में पुलिस आयुक्त पद से एसएन श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.
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