दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार पर जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन ना देने का आरोप लगा रही है तो केंद्र सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि दिल्ली को उसकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन दी जा रही है.


इस सबके बीच बीजेपी ने दिल्ली में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत के लिए केजरीवाल सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया है. दिल्ली बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने तो आंकड़ों के जरिए बताने की कोशिश भी की कि दिल्ली में हर एक मरीज के लिए देश के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में लगभग दोगुनी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा रही है. ऐसे में अभी भी ऑक्सीजन संकट क्यों बना हुआ है? इस पर केजरीवाल सरकार को जवाब देना चाहिए. 


मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली की जनता से माफी मांगे- बीजेपी


बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से दिल्ली की जनता से माफी मांगने की मांग भी की साथ ही सरकार की नाकामी की वजह से ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की जान जाने का आरोप भी लगाया. बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई जांच और आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने और सीएम केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की.


दिल्ली को 499 मीट्रिक टन आक्सीजन दी गई जबकि 700 मीट्रिक टन देने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश है- चड्ढा 


आप विधायक राघव चड्ढा ने रविवार को कहा कि दिल्ली को आठ मई को सिर्फ 499 मीट्रिक टन आक्सीजन प्राप्त हुई जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 700 मीट्रिक टन की औसत आपूर्ति का आदेश दिया है. पिछले सप्ताह में शहर को औसतन 533 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन मिली जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित मात्रा का 76 प्रतिशत है.


दिल्ली सरकार ने कहा कि शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में 1,271 ऑक्सीजन बिस्तर वाली केवल चार स्वास्थ्य इकाइयों ने आक्सीजन की कमी को लेकर एसओएस कॉल (त्राहिमाम संदेश) भेजे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दिल्ली सरकार ने इन अस्पतालों को 15.50 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति की.


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