BJP on Kejriwal Govt: दिल्ली में सोमवार को बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए फैसलों का आभार व्यक्त करने के साथ ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार के काम करने के तरीकों और जनता से किए वायदों को पूरा ना कर पाने के मुद्दे पर सवाल खड़े करते हुए प्रस्ताव पास किए गए.
इस बैठक के दौरान राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर मोदी सरकार की जनता के हर वर्ग का ध्यान रखने के लिए सराहना की गई. वहीं, अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मांगा गया. बैठक के दौरान कहा गया कि पीएम के मार्गदर्शन के कारण ही 116 करोड़ जनता को मुफ्त कोरोना टीका लग चुका है और 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के कारण भारत को फिर से खड़ा करने में भरपूर सहायता मिल रही है.
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले सात सालों में दिल्ली को दुर्दशा के गर्त तक पहुंचा दिया है. दिल्ली सरकार ने सिर्फ प्रचार-प्रसार पर ही पैसा खर्च किया है. इस बार दिल्ली सरकार के नालों की सफाई न होने के कारण मानसून की हर बारिश में दिल्ली डूबी. बैठक में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने हर समस्या के लिए दूसरों पर दोष डालते हुए जनता में घबराहट का माहौल बनाने की कोशिश की. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान न वैक्सीन की कमी थी, न ऑक्सीजन की कमी थी और न कोयले की कमी थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने हर बार झूठ बोल कर भ्रम पैदा करने की कोशिश की.
दिल्ली की हवा को जहरीला बना दिया गया
दिल्ली प्रदेश बीजेपी द्वारा पास किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि आज दिल्लीवालों के पास न शुद्ध हवा है और न ही पानी. दिल्ली की हवा को जहरीला बना दिया गया है, क्योंकि केजरीवाल सरकार ने समय रहते इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. इसके विपरीत दिल्ली सरकार प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली को ही दोष देती रही. प्रदूषण से निपटने के लिए 20 करोड़ रुपये की लागत से स्मॉग टावर लगाया गया, लेकिन वह भी बंद पड़ा हुआ है. दिल्ली सरकार ने पराली से खाद बनाने के लिए 40 हजार रुपये का रासायनिक घोल जरूर खरीदा, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया गया, जबकि उसके विज्ञापन पर 15 करोड़ 60 लाख रुपये बर्बाद कर दिए गए. दिल्ली सरकार ने पिछले सात सालों में पर्यावरण सेस के रूप में 1439 करोड़ रुपया वसूल किया है, लेकिन कोई नहीं जानता कि आखिर यह राशि कहां खर्च की गई.
यमुना के प्रदूषण को दूर करने में नाकाम
प्रस्ताव में कहा गया कि केजरीवाल सरकार वायु प्रदूषण के अलावा यमुना के प्रदूषण को दूर करने में भी पूरी तरह नाकाम रही है. केंद्र सरकार ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार को 2419 करोड़ रुपये दिए हैं, लेकिन उस रकम का कोई हिसाब-किताब नहीं है. वहीं, पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों के मुद्दे पर दिल्ली सरकार को घेरते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की और राज्यों से अनुरोध किया कि वे वैट कम करके जनता को राहत दें. 25 राज्यों ने ऐसा किया भी लेकिन दिल्ली सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हुई.
इसके साथ ही दिल्ली में अब शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाकर 3 हजार से भी ज्यादा की जा रही है. 849 दुकानों के अलावा लगभग एक हजार बेंक्वेट हॉलों को भी पक्के लाइसेंस दिए जा रहे हैं. इसके अलावा रेस्टोरेंट, बार और क्लबों में भी शराब के अड्डे खोले जा रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में शराब परोसने का वक्त भी बढ़ा दिया गया है. अब तक आमतौर पर क्लबों और बारों में रात 11 बजे के बाद शराब सर्व की जाती थी, लेकिन अब यह छूट रात तीन बजे तक कर दी गई है. इसके साथ ही दिल्ली में शराब ठेकेदारों का कमीशन 2 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है.
7 सालों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम हुआ ठप
दिल्ली बीजेपी की कार्यकारिणी में पांच किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि अगर बात कीजिए दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की, तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार आने के बाद पिछले 7 सालों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम एकदम ठप सा हो गया है. पिछले 7 सालों में डीटीसी की एक भी बस नहीं खरीदी जा सकी. गौर करने लायक बात यह है कि बिना बस खरीदे ही पिछले सात सालों में डीटीसी का घाटा 8000 करोड़ से भी ज्यादा हो चुका है. दिल्ली सरकार ने एक हजार बसें खरीदने के लिए जो टेंडर दिया, उसमें भी 5000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, जिसकी सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है. वहीं, मौजूदा डीटीसी की जो 3760 बसें बची हैं, वे सभी अपनी उम्र पार कर चुकी हैं. हैरानी की बात है कि दिल्ली सरकार ने 2015 में ही इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना शुरू कर दी थी और इसके तहत दिल्ली को 400 इलेक्ट्रिक बसें दी जानी थीं. केंद्र ने इसके लिए वित्तीय सहायता भी दे दी, लेकिन दिल्ली सरकार एक भी बस नहीं चला पाई.
सरकारी स्कूलों को लेकर केजरीवाल सरकार का घेराव
इस बैठक के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों का मुद्दा भी उठा. बैठक के दौरान कहा गया कि अगर दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बात करें, तो आज की तारीख में दिल्ली के 1200 सरकारी स्कूलों में से 750 स्कूलों में तो प्रिंसिपल ही नहीं हैं. 418 स्कूलों में वाइस प्रिंसिपल भी नहीं हैं और कुल 24,500 शिक्षकों की कमी है. केजरीवाल सरकार सिर्फ स्कूलों में कमरे बनवाने पर जोर दे रही है, ताकि बिल्डर को फायदा हो और चोर दरवाजे से उसकी अपनी जेब भी भरती रहे और कुछ ऐसा ही हाल स्वास्थ्य सेवाओं का भी है. केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल जनता कोरोना के दौरान खुद ही देख चुकी है. दिल्ली सरकार ने एक हजार मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया, जिनमें से अब तक सिर्फ 450 ही खुल पाए हैं और उनमें से भी सिर्फ 150 ही काम कर रहे हैं.
यानी कुल मिलाकर इस बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दौरान दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों और लिए गए फैसलों पर एक-एक कर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. इस बैठक के दौरान यह भी कहा गया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार हर एक मोर्चे पर विफल साबित हुई है. बैठक के दौरान कहा गया कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ प्रचार प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च करने का काम जरूर किया, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और प्रदूषण के मुद्दे पर जो काम किया जाना चाहिए था वह नहीं किया गया और उसका खामियाजा दिल्ली के लोग भुगत रहे हैं.
निगम चुनावों को लेकर बैठक में चर्चा
इस बीच दिल्ली में अगले साल होने वाले नगर निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दिल्ली प्रदेश प्रभारी बैजयंत जय पांडा ने कहा कि आने वाले निगम चुनावों में किसको टिकट दिया जाएगा और किसको नहीं इस बात का फैसला जनता करेगी. पांडा ने कहा कि इसके लिए जो भी टिकट के इच्छुक हैं उन्हें नेताओं की गणेश परिक्रमा छोड़ कर जनता के बीच जाकर काम करना चाहिए. जनता जिसे चाहेगी और जिसकी छवि साफ और जीतने की क्षमता होगी टिकट उसी को दियाा जाएगा. यानी इस बैठक के दौरान ना सिर्फ केजरीवाल सरकार को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए, बल्कि अगले साल की पहली छमाही में होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनााव को लेकर भी विस्तार से चर्चा की गई.
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