नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के संजय कैंप में लोग 2 बजे से ही गैलन और डब्बों की लाइन लगा कर के टैंकर का इंतजार कर रहे हैं. घरों के बच्चे इन गैलन और डब्बों पर बैठे हुए टैंकर का इंतजार कर रहे हैं ताकी टैंकर आए तो कहीं देर ना हो जाए. क्योंकि देर होने पर पानी भी नहीं मिलता.


गैलंस की लंबी लाइन लगी है. पानी के इंतजार में बैठी महिला बताती हैं कि दो बजे से टैंकर का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अभी तक नहीं आया है. टैंकर के आने जाने का कोई टाइम नहीं होता है. कोई टाइम टेबल नहीं है. इस वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. कभी शाम के 5 बजे तो कभी 7 बजे टैंकर आता है.  हम घंटों इंतजार करते रहते हैं. सुबह में कहीं से पानी भर लेते हैं. उसी से थोड़ा बहुत काम चल जाता है. वरना दिक्कत बहुत है.


गैलन पर बैठकर के टैंकर का इंतजार कर रहे बच्चों ने बताया, "हम 2 बजे से यहां पर हैं. पानी का टैंकर कभी 5:00 बजे तो कभी 6:00 बजे आता है. बहुत ज्यादा पानी की दिक्कत है. ऊपर से जब टैंकर आता है तो बहुत भीड़ रहती है. जल्दी जल्दी पानी लेना पड़ता है. नहीं तो मिलता नहीं है. हम टैंकर का इंतजार कर रहे हैं, जब तक नहीं आ जाता, हम यही रहेंगे.


दिल्ली में पानी की दिक्कत को लेकर के भारतीय जनता पार्टी मटका फोड़ आंदोलन कर रही है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर और बीजपी नेता जयप्रकाश जेपी इस वक्त इलाके में मटका फोड़ आंदोलन कर रहे हैं.


इलाके में पानी की दिक्कत को लेकर के जयप्रकाश जेपी कहते हैं, “पूरी दिल्ली में पानी की दिक्कत है. या तो पानी आता नहीं है या फिर आता है तो बेहद गंदा आता है. महामारी के समय में लोग एक तरफ कोरोना से लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ पानी की लड़ाई लड़ रहे हैं. गंदा पानी पीकर के लोग बीमार हो रहे है.”


वे आगे कहते हैं कि हम लगातार दिल्ली जल बोर्ड के सामने आवाज उठा रहे हैं. आंदोलन कर रहे हैं, सरकार को जगा रहे हैं, राघव चड्ढा को जगाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा. दिल्ली सरकार ने कहा था कि हर घर में टोटी जाएगी और आरओ से भी बेहतर पानी आएगा. लेकिन अब तो स्थिति और बिगड़ गई है. हमारा आंदोलन लगातार चलेगा. हमने दिल्ली जल बोर्ड को चिट्ठी लिखी है. सत्येंद्र जैन और राघव चड्ढा से भी हम मिलने वाले हैं. आखिर दिल्ली को पानी क्यों नहीं मिल पा रहा है. हमारे आंदोलन को लोगों का समर्थन मिल रहा है क्योंकि लोग गंदा पानी पी रहे हैं. लोगों के हित की बात है इसलिए लोग हमारे साथ हैं. आंदोलन चलता रहेगा."


सदर बाजार इलाके में लोग जगह-जगह से पानी भर के ला रहे हैं मगर यह पानी भी ना पीने लायक है और ना नहाने लायक.  लोगों ने कहा, "पानी आता ही नहीं है आता भी है तो इतना काला आता है कि पीने लायक नहीं होता है. बाहर से खरीद कर पानी लाते हैं तब जाकर के पीते हैं. सरकार के लिए गुस्सा है, नाराजगी है. आखिर क्यों हमें पानी साफ नहीं मिल रहा है. पहले ऐसी स्थिति नहीं होती थी."


एक बुजुर्ग महिला बताती हैं, " पानी बहुत गंदा आता है. एक डेढ़ महीने से पानी ऐसे ही आ रहा है. बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. बाहर से पानी खरीदते हैं." इलाके के एक निवासी बताते हैं," स्थिति बहुत गंभीर हो गई है. एक तो पानी आता नहीं है और जब आता भी है तो इतना गंदा आता है कि उसे फेंक देना पड़ता है. पानी देख कर के ही उल्टी आ जाती है. पानी में बदबू आती है." इलाके के एक औऱ निवासी बताते हैं, " हर रोज 60 से 80 रुपये के हम लोग पानी की बोतल खरीदते हैं जिसकी वजह से खर्चा भी बढ़ गया है. इसी से हमारा काम चलता है, खाना बनता है और पानी पीते हैं."


यहां के लोग बताते हैं कि इलाके के विधायक सोमदत्त चुनाव जीतने के बाद से ही इलाके में कभी नहीं आए. उन्होंने इलाके में पैर ही नहीं रखा. जनता लगातार शिकायत कर रही है. इसके बावजूद विधायक कभी भी नहीं आते. वो गुमशुदा हैं. क्षेत्र की हालत बुरी है लेकिन नेता देखने भी नहीं आते. पानी की किल्लत के साथ-साथ इलाके में गंदगी भी बहुत है. फिर भी कोई देखने नहीं आता है.


एबीपी न्यूज ने लोगो के घरों से पड़ताल की, यह देखने के लिए कि क्या स्थिति सच में इतनी बदतर है. तस्वीरें जो दिखीं उनसे पता चलता है कि आखिर लोग इतने परेशान क्यों हैं.  एक घर की महिला हमें नल चालू करके दिखाती हैं कि पानी किस तरह से आ रहा है. पानी केवल बूंद बूंद टपकता हुआ दिख रहा है.


घर की महिला बताती हैं, "पानी आता ही नहीं है. 1 हफ्ते से बिल्कुल भी नहीं आ रहा है. मंदिर की तरफ एक टोटी है, वहीं से पानी भर लेते हैं. पर वह भी इतना गंदा होता है कि उसे पी नहीं सकते हैं. पीने के लिए पानी खरीद करके लाते हैं जिसकी वजह से घर का खर्चा बढ़ गया है." पानी की बाल्टी दिखाते हुए कहती हैं," पानी इतना गंदा है कि फेंक देना पड़ता है. दिक्कत बहुत ज्यादा है, लेकिन कोई भी देखने नहीं आता और ना ही समस्या का हल निकालता है."


दूसरे घर की महिलाएं हमें बाल्टी का पानी लाकर दिखाती हैं कि कितना गंदा पानी है. यह महिलाएं बताती हैं," पानी पिछले एक डेढ़ महीने से काफी गंदा आ रहा है. ज्यादातर वक्त आता भी नहीं है. कभी-कभी आता भी है तो शाम के वक्त. दिन में हमें गंदे पानी से ही काम चलाना पड़ता है. मजबूरी में बाहर से पानी खरीदते हैं. तबीयत खराब हो जाती है, आजकल गला खराब है. एक डेढ़ घंटे तक अगर पानी आता भी है तो इतना काला आता है कि उसे बहा देना पड़ता है. बाद में पांच दस मिनट के लिए कुछ हद तक साफ पानी आने लगता है."


इलाके की बुजुर्ग महिला कहती हैं कि पानी आ ही नहीं रहा है. आता है तो इतना गंदा आ रहा है कि समझ नहीं आता कि करें क्या. पानी केवल बूंद बूंद टपकते हुए आता है. तबीयत खराब हो जा रही है. पानी पीने के लिए बाहर से खरीद करके लाते हैं जिसकी वजह से खर्चा भी बहुत बढ़ गया है. सरकार से तो कोई आता नहीं है और ना ही कोई देखता है कि हम कैसे रह रहे हैं.


इलाके के एक निवासी जोकि खुद दिव्यांग है और अपनी दिव्यांग पत्नी के साथ रहते हैं,  बताते हैं, " हमारा घर चौथी मंजिल पर है जिसकी वजह से पानी आ नहीं पाता है. बच्चों ने परेशान होकर के घर लौटने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि जब तक पानी नहीं आता है, हम घर पर नहीं आएंगे. पड़ोसियों की मदद से कई बार पानी आ जाता है वरना हम बूंद बूंद पानी को तरसते रहते हैं.


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