नई दिल्लीः दिल्ली में शुक्रवार शाम एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर हुए एक छोटे बम धमाके ने भारत-इजराइल संबंधों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी. शाम करीब 5 बजे हुए इस लो-इंटेंसिटी धमाके में कुछ गाड़ियों के शीशे टूटने से अधिक का कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन राजधानी में महज कुछ दूर चल रहे बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान हुए इस धमाके ने बहुत से सवाल जरूर छोड़ दिए.


इजराइली दूतावास के करीब धमाके की यह वारदात उस दिन हुई जब भारत और इजराइल अपने राजनयिक संबंधों की 29वीं सालगिरह मना रहे थे. धमाका भले ही छोटा था मगर इसे पूरी सक्रियता और गंभीरता से लेते हुए सरकार के कई महकमे और एजेंसियों फौरन हरकत में आ गईं. दिल्ली के एपीजे अब्दुल कलाम रोड के उस हिस्से को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया जहां इजराइल का दूतावास है. साथ ही विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों ने तेल अवीव से लेकर दिल्ली तक सुरक्षा आश्वासन देने वाले कई फोन कॉल कर दिए.


विदेश मंत्रालय ने धमाके के बाद इजराइल को दिया सुरक्षा का आश्वासन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने घटना के कुछ ही देर बाद अपने इजराइली समकक्ष गाबी अश्केनाजी को फोन कर कहा कि भारत इस वारदात को बहुत गंभीरता से ले रहा है. इजराइली दूतावास और उसके राजनयिकों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी. साथ ही इस धमाके के लिए जिम्मेदार दोषियों का पता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. इस फोन संवाद के बाद विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने इजराइल में अपने समकक्ष से बात की.


वहीं, विदेश मंत्रालय में कोंसुलर मामलों के सचिव संजय भट्टाचार्य ने भारत में इजराइल के राजदूत रॉन मलका को पूरी मदद का भरोसा देते हुए कॉल किया. इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी अपने इजराइली समकक्ष से बात की.


इजराइली राजदूत रॉन मलका ने देर शाम बयान जारी कर कहा कि इस घटना में दूतावास के किसी कर्मचारी को कोई नुकसान नहीं हुआ. हम भारतीय अधिकारियों के साथ इस संपर्क में हैं और दोनों मिलकर इसके लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे. मलका ने कहा कि यह घटना ऐसे दिन हुई है जब भारत और इजराइल अपने राजनयिक संबंधों की 29वीं सालगिरह मना रहे थे.


एक दशक में इजराइली दूतावास के पास बम धमाके की दूसरी घटना
महत्वपूर्ण है कि बीते एक दशक के दौरान यह दिल्ली स्थित इजराइली दूतावास के पास बम धमाके की दूसरी घटना है. इससे पहले फरवरी 2012 इजराइली दूतावास के बाहर एक कार बम धमाका हुआ था जिसमें एक राजनयिक समेत दूतावास के दो कर्मचारी घायल हुए थे. इस धमाके के लिए शक की सुई ईरान की तरफ गई थी. इजराइल ने जहां इस हमले के लिए खुलकर ईरान पर आरोप लगाए थे.


वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी जुलाई 2012 और 2013 में दाखिल आरोप-पत्र में इस हमले की साजिश विदेश में रचे जाने व चार ईरानी नागरिकों के नाम संदिग्धों के तौर पर अदालत में दाखिल किए थे. हालांकि, 2012 में हुए बम धमाके को लेकर किसी को सजा नहीं हो सकी थी. वहीं इस सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पत्रकार मोहम्मद एहमद काजमी को बाद में अदालत से करीब सात महीने बाद रिहाई मिल गई थी.


सुरक्षा-व्यवस्था पर उठे सवाल
बहरहाल, दिल्ली के ताजा बम धमाके ने राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के सवाल भी गहरा दिए हैं. खासतौर पर किसान आंदोलन के दौरान लालकिले समेत शहर के अन्य हिस्सों में हुई तोड़फोड़ और हिंसा के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंधन को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. इतना ही नहीं गणतंत्र दिवस के लिए किसान आंदोलन के दौरान हुए उपद्रव और ऐन बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान हुए धमाके के बाद गृहमंत्राय में समीक्षा बैठकों का दौर शुरु हो गया. गृहमंत्री अमित शाह ने अगले दिन के लिए सारे कार्यक्रम निरस्त करते हुए सुरक्षा समीक्षा बैठक तलब कर ली.


आतंकियों के निशाने पर रही है दिल्ली


बीते दो दशकों में कई बार आतंकियों के निशाने पर रह चुकी राजधानी दिल्ली की हिफाजत को लेकर फिक्र लाजिमी है. वहीं, अगर बीटिंग द रिट्रीट जैसे सैन्य समारोह के दौरान आयोजन स्थल से कुछ ही दूरी पर तमाम सुरक्षा इंतजामों को धता बताते हुए धमाका हो जाए तो यह परेशानी बढ़ाने वाला ही है. ध्यान रहे कि बीटिंग रिट्रीट के दौरान विजय चौक पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, तीनों सेना प्रमुख और सीडीएस समेत कई वीवीआईपी मौजूद थे. वहीं, समारोह स्थल से दो किमी से भी कम की दूरी पर बम धमाके की यह वारदात हुई.


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