Delhi Budget: दिल्ली सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश कर दिया है. सफेद पैंट, हरी शर्ट और लाल रंग के टैब में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पेश किया. सरकार का दावा है कि इस बजट का फोकस नौकरियां, स्वास्थ्य, ग्रीन एनर्जी, मार्केट, रिटेल सेक्टर, नाइट लाइफ पर है. 75,800 करोड़ के इस बजट की सबसे बड़ी बात ये रही कि दिल्ली सरकार ने इसे रोजगार बजट नाम दिया है. अगले 5 साल में 20 लाख नौकरियां लोगों को देने का लक्ष्य रखा गया है.


गरीब, दलित, अल्पसंख्यक विरोधी ये बजट है- अनिल चौधरी


हालांकि, विपक्षी पार्टियां आम आदमी पार्टी (आप) के लगातार 8वें बजट से संतुष्ट नहीं हैं. दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए दिल्ली सरकार के बजट पर खूब निशाना साधा. अनिल चौधरी ने कहा,"जले पर नमक छिड़कने वाला बजट है. गरीब विरोधी, दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी ये बजट है और युवाओं के लिए कोई व्यस्था नहीं की गई है. साल 2012 की कांग्रेस सरकार में NSSO के मुताबिक, दिल्ली की वर्किंग पॉपुलेशन 33.39 % थी और अब 8 सालों के बाद भी आप की सरकार में ये घटी है. चुनाव प्रचार में केजरीवाल बोलते थे बेरोजगारी भत्ता देंगे, लेकिन बजट में बेरोजगारी भत्ते का जिक्र भी नहीं है."


दिल्ली में रोजगार बाजार पोर्टल 2.0 लाया जाएगा- सिसोदिया


इससे पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने बजट पेश करते हुए कहा कि हमें अगले 5 वर्षों में खुदरा क्षेत्र में 3 लाख नौकरियां और अगले 1 साल में 1.20 लाख से अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में रोजगार बाजार पोर्टल 2.0 लाया जाएगा. इससे पहले के राउंड में 15 लाख लोग नौकरी मांगने वाले और 10 लाख लोग नौकरी देने वाले सामने आए थे. इसके माध्यम से हर साल एक लाख नई नौकरियां देने का लक्ष्य है.


2018 में आप की सरकार ने नाम दिया था ग्रीन बजट- अनिल चौधरी


रोजगार के मुद्दे पर अनिल चौधरी ने दिल्ली सरकार के ऊपर तंज भी कसे. चौधरी ने कहा," इससे पहले आप की सरकार ने साल 2018 में नाम दिया गया था ग्रीन बजट, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में खूब पेड़ लगाएंगे, प्रदूषण कम कर देंगे, लेकिन आज देखिए हालत क्या है, 2018 से लेकर आज तक दिल्ली प्रदूषण में नंबर वन बनी हुई है. पूरी दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी दिल्ली है. आज रोजगार बजट नाम दिया है, लेकिन फिर से कहीं ऐसा न हो कि बेरोजगारी ऐसी ही रहे."


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