नई दिल्ली: दिल्ली का अपना शिक्षा बोर्ड रजिस्टर किए जाने के बाद अब दिल्ली सरकार 100 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की शुरुआत करने जा रही है. दिल्ली सरकार के जरिए पेश किए गए बजट में भी इसका जिक्र किया गया था. आज दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है.


दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली छात्रों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की शुरुआत करने जा रही है. ये स्कूल अलग-अलग विषयों जैसे साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथेमेटिक्स (STEM) परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स, हयूमैनिटिज और 21वीं सदी के उच्च कौशल जैसे चार क्षेत्रों में प्रतिभाशाली छात्रों की प्रतिभाओं को और विकसित करेंगे.


दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम स्पेशलाइजेशन के युग में जी रहे हैं और हमारे बच्चों को ऐसे मौकों की जरूरत है जो भविष्य की चुनौतियों के लिए उन्हें तैयार कर सके. हर बच्चा खुद में अनूठा और प्रतिभाशाली है और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उन्हें अपने जीवन में उच्च सफलता प्राप्त करने का अवसर और मार्गदर्शन मिले.


उन्होंने कहा कि इस दिशा में स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस हमारे बच्चों को उनकी प्रतिभा को विकसित करने और उनकी रुचि के क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद करेगा. दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों को अपग्रेड कर उन्हें मौजूदा आरपीवीवी और SoE के स्तर पर लाया जाएगा. साथ ही नए स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में बच्चों के रुचियों और योग्यताओं को ध्यान में रखते उनके टैलेंट का विकास किया जाएगा.


एक्सीलेंस को बढ़ावा


उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्कूलों के माध्यम से वंचित वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थी भी अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में नई ऊंचाइयां पा सकेंगे. ये स्कूल उत्कृष्टता के हब के रूप में विकसित होंगे और बाकी स्कूलों में एक्सीलेंस को बढ़ावा देने के मॉडल के रूप में काम करेंगे. प्रतिभाशाली छात्रों की प्रतिभाओं को खोजकर उन्हें और बेहतर करने के उद्देश्य से स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की शुरुआत की जा रही है. आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस इन स्कूलों में रचनात्मकता और समस्या समाधान स्किल्स पर केंद्रित शिक्षा के जरिए बच्चों को सीखने का अवसर मिलेगा.


दिल्ली सरकार के जरिए दी गई जानकारी के मुताबिक इन विद्यालयों का चयन विद्यार्थी अपनी पसंद के आधार पर करेंगे. जहां उन्हें 9वीं से 12वीं तक की स्कूली शिक्षा दी जाएगी. ये मॉडल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के 5+3+3+4 स्कूली शिक्षा मॉडल के अंतिम 4 वर्षो पर आधारित होगा. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी प्रतिभाशाली बच्चों को मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देने पर बल देता है ताकि उनका सम्पूर्ण विकास हो सके. बच्चों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन स्कूलों को विश्वविद्यालयों और उद्योगों के साथ भी जोड़ा जाएगा. साथ ही मेंटरशिप कार्यक्रम के तहत उनका मार्गदर्शन भी किया जाएगा.


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