नई दिल्ली: दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने दो बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने का विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करने के कुछ दिनों बाद ही गुरुवार को कहा, पार्टी ऐसे अन्य बागी विधायकों के खिलाफ भी ऐसी ही कार्रवाई का कदम उठा सकती है.


उल्लेखनीय है कि आप ने बिजवासन से पार्टी विधायक देवेन्द्र सहरावत और गांधी नगर से विधायक अनिल बाजपेयी की सदस्यता रद्द करने की दस जून को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका पेश की है. दोनों विधायकों ने पार्टी की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करते हुये गत मई में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पार्टी को अपेक्षा थी कि दोनों विधायक कानूनी और नैतिक आधार पर विधायक पद छोड़ देंगे लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं करने पर पार्टी को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका पेश करनी पड़ी.


अलका लांबा और कपिल मिश्रा पर भी हो सकती है कार्रवाई
भारद्वाज ने कहा कि पार्टी के खिलाफ बोलने वाले ऐसे अन्य बागी विधायकों के खिलाफ भी इस तरह की कार्रवाई हो सकती है. उल्लेखनीय है कि आप के दो अन्य विधायक, अलका लांबा (चांदनी चौक) और कपिल मिश्रा (करावल नगर) पिछले कुछ समय से पार्टी के खिलाफ लगातार सार्वजनिक तौर पर बयान दे रहे हैं. विधानसभा के एक अधिकारी ने याचिका के बारे में बताया कि सेहरावत और बाजपेयी का जवाब मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष इस पर विचार कर नियमों के मुताबिक अंतिम फैसला करेंगे.


आप की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला- सेहरावत
सेहरावत ने बताया कि विधानसभा से इस बारे में नोटिस मिला है. उन्होंने कहा, ''मुझे मौजूदा कानून के तहत आप की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है. हालांकि बीजेपी के मंच से भी मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण नहीं करने की बात कही थी. विधानसभा सदस्यता रद्द करने की निर्धारित प्रक्रिया है और इसके मुताबिक मुझे आप की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है.''


बाजपेयी ने कहा कि उनके खिलाफ लाभ के पद का मामला लंबित है इसलिये उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग करने वाली आप की याचिका निरर्थक है. इसके जवाब में भारद्वाज ने कहा कि अगर बाजपेयी और सेहरावत की दलील सही है तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह कहना चाहिये कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और बीजेपी नेता विजय गोयल झूठ बोल रहे हैं. साथ ही उन्हें यह भी बोलना चाहिये कि वे बीजेपी से संबद्ध नहीं है और अभी भी आप का समर्थन कर रहे हैं.


उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने लाभ के पद के मामले में आप के 20 विधायकों की रद्द की गयी सदस्यता को बहाल करते हुये आयोग से इस मामले की फिर से सुनवाई करने को कहा था. अदालत ने आयोग में सुनवाई के दौरान विधायकों को उनका पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं देने का हवाला देते हुये यह फैसला दिया था.


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