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गुजरात चुनाव से पहले केजरीवाल ने क्यों छेड़ा नया विवाद, BJP पर इस्तेमाल करेंगे उसी का हथियार?

Gujarat Elections 2022: आम आदमी पार्टी पीएम मोदी और अमित शाह के गढ़ में सेंध लगाने की हर कोशिश में जुटी है. इसी बीच अरविंद केजरीवाल ने हिंदू कार्ड खेलते हुए बीजेपी को घेरने की कोशिश की है.

"अगर देवी-देवताओं का आशीर्वाद हो तो हमारी कोशिश सफल होने लगती है, अर्थव्यवस्था बुरे दौर में चल रही है इसके लिए भारतीय करेंसी पर श्री गणेश जी और लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाई जाए..." दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक खास प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना ये बयान जारी किया. उनके इस बयान के बाद भारतीय करेंसी को लेकर एक नई बहस शुरू हो चुकी है, कोई नोटों पर शिवाजी महाराज की तस्वीर छापने की बात कर रहा है तो कोई अंबेडकर की तस्वीर लगाने की मांग कर रहा है. कुल मिलाकर केजरीवाल ने जो चिंगारी छोड़ी, वो धीरे-धीरे आग बनकर फैलती जा रही है. अब सवाल ये है कि गुजरात चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने ये दांव आखिर क्यों चला?

गुजरात में AAP के प्रचार अभियान की शुरुआत
गुजरात चुनाव की तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है. उम्मीद है कि हिमाचल के साथ ही गुजरात चुनाव के नतीजे भी सामने आ जाएंगे. आम आदमी पार्टी पीएम मोदी और अमित शाह के गढ़ में सेंध लगाने की हर कोशिश में जुटी है. इसके लिए आधिकारिक तौर पर आज यानी 27 अक्टूबर से आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार अभियान शुरू हो चुका है. 28 अक्टूबर से तीन दिन के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान गुजरात दौरे पर रहेंगे, जहां वो कई जनसभाओं को संबोधित करेंगे और पार्टी के लिए प्रचार किया जाएगा. 

गुजरात में प्रचार अभियान शुरू होने से ठीक एक दिन पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा- "आज सुबह 11 बजे एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रेस वार्ता करूंगा"... कयास लगाए गए कि पॉल्यूशन या फिर दिल्ली को लेकर कुछ बड़ा एलान हो सकता है. जब प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हुई तो केजरीवाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था का जिक्र कर दिया. इसके बाद उन्होंने भारतीय करेंसी पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की तस्वीर लगाने वाला बयान दे दिया, जिसने खूब सुर्खियां बटोरीं. 

क्या था अरविंद केजरीवाल का नोटों वाला बयान
अरविंद केजरीवाल ने कहा- "हम सब चाहते हैं कि भारत विकसित और अमीर देश बने. हम चाहते हैं कि हर भारतवासी अमीर बने. इसके लिए कई कदम उठाने की जरूरत है. हमें बड़ी संख्या में स्कूल खोलने हैं, अस्पताल बनाने हैं, बड़े स्तर पर बिजली और सड़कों का इंफ्रास्टक्चर तैयार करना है, लेकिन एफर्ट्स तभी फलीभूत होते हैं जब हमारे ऊपर देवी-देवताओं का आशीर्वाद होता है. हम कई बार देखते हैं कि एफर्ट्स के नतीजे नहीं आ रहे हैं, उस वक्त लगता है कि अगर देवी-देवताओं का आशीर्वाद हो तो इसके नतीजे आने लगते हैं. हम देखते हैं कि तमाम बड़े बिजनेसमैन अपने यहां गणेश जी और लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाते हैं. मेरी केंद्र सरकार और पीएम से अपील है कि भारतीय करेंसी पर एक तरफ गांधी जी की तस्वीर है, वो वैसे ही रहनी चाहिए... लेकिन दूसरी तरफ श्री गणेश और श्री लक्ष्मी जी की तस्वीर लगाई जाए. भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कोशिशों के अलावा देवी-देवताओं के आशीर्वाद की भी जरूरत है." 

केजरीवाल को क्यों खेलना पड़ा हिंदुत्व कार्ड?
अब उस सवाल पर आते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनाव से ठीक पहले ये हिंदुत्व कार्ड क्यों खेला और इसे बहस का मुद्दा क्यों बनाया. इसका जवाब ये है कि केजरीवाल अब ये समझ चुके हैं कि अगर हिंदू वोटर उनकी तरफ आए तो ही उन्हें आने वाले हर चुनाव में फायदा होगा. इसे केजरीवाल के पुराने साथी और कवि कुमार विश्वास ने अच्छी तरह समझाने का काम किया. कुमार विश्वास ने केजरीवाल के बयान पर ट्वीट करते हुए कहा कि, " उसे (केजरीवाल) को पता है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक में तो अखिलेश-ममता-नीतीश, आधा दर्जन दावेदार हैं, 82% हिंदू वोटबैंक से आधा भी फंसा लो तो बाकी अल्पसंख्यक तो दुत्कारने पर भी मोदी विरोध में मजबूरी में वोट देंगे ही." यानी केजरीवाल अपनी हिंदुत्व वाली इमेज बनाकर अब आगे का रास्ता तय करना चाहते हैं. 

बीजेपी पर उसी के हथियार से वार
कई दशकों से हिंदुत्व विचारधारा को बीजेपी का सबसे बड़ा चुनावी हथियार माना जाता है. अयोध्या आंदोलन से लेकर आर्टिकल 370 और सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों का जिक्र बीजेपी की तमाम बड़ी रैलियों में होता है. अब अरविंद केजरीवाल की बात करें तो वो 2013-14 से ही लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिले, इसके लिए उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार भी उतारे, लेकिन सफल नहीं हुए. हालांकि इसी बीच पंजाब जैसे राज्य की सत्ता में आम आदमी पार्टी का कब्जा हुआ. 

लेकिन अब आम आदमी पार्टी बीजेपी के खिलाफ उसी के सबसे कारगर हथियार का इस्तेमाल करने की पूरी तैयारी कर चुकी है. केजरीवाल की हिंदुत्ववादी इमेज इसी ब्लूप्रिंट का एक हिस्सा है. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि केजरीवाल ने पहली बार हिंदुत्व कार्ड खेला हो. इससे पहले शुरुआती दौर में उनके नारों की शुरुआत भारत माता की जय के नारे से होती थी, वहीं पिछले दिल्ली चुनाव से पहले उन्होंने खुद को एक हनुमान भक्त के तौर पर पेश किया. इसके अलावा चुनाव के दौरान उनका टीवी पर हनुमान चालीसा पढ़ना भी खूब चर्चा में रहा. यूपी चुनाव के दौरान केजरीवाल अयोध्या भी पहुंचे. हाल ही में गुजरात चुनाव के दौरान केजरीवाल ने खुद को श्रीकृष्ण का अवतार तक बता दिया था. 

गुजरात बहाना, 2024 है असली निशाना
अगर आप ये सोच रहे हैं कि केजरीवाल ये पूरी तैयारी गुजरात चुनाव के लिए कर रहे हैं तो आप गलत हैं. दरअसल केजरीवाल की नजरें 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर टिकी हैं. हिंदुत्व कार्ड अगर सही बैठता है तो केजरीवाल को लोकसभा चुनावों में इसका फायदा हो सकता है. खास बात ये है कि कांग्रेस हमेशा से सेक्यूलर विचारधारा पर चलने की बात करती आई है, यही वजह है कि पार्टी के नेता खुलकर हिंदुत्व कार्ड नहीं खेल पाते. इसी का फायदा केजरीवाल उठाना चाहते हैं. बीजेपी की विचारधारा को ही उसकी काट बनाने की ये रणनीति कितनी कामयाब होती है ये आने वाले कुछ महीनों में पता चलेगा. हालांकि बीजेपी हर कोशिश कर रही है कि केजरीवाल को इस हिंदुत्व वाले प्लॉट में जरा भी जगह नहीं दी जाए. आने वाले वक्त में ये भी देखना दिलचस्प रहेगा कि केजरीवाल का ये दांव उन्हें राजनीति की ऊंचाई पर पहुंचाता है या फिर अपनी राजनीति को शिफ्ट करने का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. 

ये भी पढ़ें - Gujarat Election: गुजरात में चुनाव से पहले 900 अधिकारियों का तबादला, जानें EC क्यों लेता है ये फैसला- क्या हैं नियम?

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