नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण और कूड़े की समस्या को कम करने के लिये गाज़ीपुर मंडी में नया वेस्ट टू एनर्जी पावर प्लांट लगाया गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस प्लांट का उद्घाटन किया. गाज़ीपुर मुर्गा और मछली मार्केट के साथ सब्ज़ी और फ्रूट मार्केट से निकलने वाले कूड़े को बिजली और खाद में बदलने के लिए इस प्लांट को लगाया गया है. इस प्लांट की खास बात है कि इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलेगा. गाज़ीपुर लैंडफिल साइट से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आयेगी क्योंकि मंडी से निकलने वाले सारे ऑर्गेनिक वेस्ट यानी गीले कचरे को प्लांट में भेजा जायेगा.


क्या खास है इस पावर प्लांट में-


- ऑर्गेनिक वेस्ट को मीथेन में कनवर्ट करके बिजली में कन्वर्ट किया जाता है.


- 15 टन को कन्वर्ट करने में 30 दिन का समय लगेगा.


- कुल 15 टन ऑर्गेनिक वेस्ट से 1500 यूनिट बिजली प्रतिदिन पैदा होगी.


- BARC (भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर) की निसर्गुना टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है.


- जो बिजली पैदा होगी उसे मेन ग्रिड में भेजा जायेगा.


- जीरो पॉल्यूशन है, जीरो लिक्विड डिसचार्ज है.


- इसके इंजन से बिना कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) रिमूव किये, H2S अलग करके पावर में कन्वर्ट करते हैं.


- किसी भी तरह के अज्वलित तरह के कार्बन का एमिशन नहीं होता.



प्लांट की ज़िम्मेदारी ग्रीनब्रिक इको सॉल्यूशन्स के पास है. ग्रीनब्रिक के एमडी पवन अग्रवाल ने बताया, "जितने भी प्लांट वेस्ट एनर्जी के लगते हैं, वह बहुत बड़े होते हैं और उसमें पूरा का पूरा कूड़ा जला दिया जाता है. लेकिन इस प्लांट में टेक्नोलॉजी अलग है. इसमें जो ऑर्गेनिक कूड़ा यानी गीला कूड़ा है, जिसे सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है, उससे बिजली बनाई जाएगी. जो गीला कचरा आएगा, वह प्रोसेस होकर दो चीज में कन्वर्ट होगा, एक तो गैस बनेगी जो पावर में कन्वर्ट होगी और दूसरा जो लिक्विड फ्रेक्शन होगा, उससे कंपोस्ट यानि खाद बनेगी. इसमें प्रदूषण का कोई पॉइंट नहीं हैं. जीरो पॉल्यूशन है, जीरो लिक्विड डिसचार्ज है. इसके इंजन से बिना कार्बन डाइऑक्साइड रिमूव करें H2S अलग करके पावर में कन्वर्ट करते हैं. यह 15 टन का पावर प्लांट है, इसको साढ़े 7 टन के दो डाइजेस्टर में डिवाइड किया गया है. ताकि अगर कम वेस्ट हो तो एक ही डाइजेस्टर चालू करेंगे."


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "आज से वेस्ट टू एनर्जी और खाद बनाने का प्लांट शुरू हो रहा है. मंडी के कूड़े से रोज बिजली बनाई जाएगी. दिल्ली देश की राजधानी है और उस लेवल की सफाई भी होनी चाहिए. दिल्ली में कूड़े के 3 पहाड़ बन गए हैं. ये प्लांट 15 टन कूड़े से 1500 यूनिट बिजली बनाएगा. इस तरह के छोटे छोटे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पूरी दिल्ली में लगाये जाएंगे. हमारी कोशिश है कि दिल्ली का ज़रा सा भी कूड़ा पहाड़ों पर न जाये बल्कि उसकी रिसाइक्लिंग हो. वरना कूड़े के पहाड़ और ऊंचे हो जाएंगे."


उद्घाटन में मौजूद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "कूड़े से बनी बिजली घर घर पहुंचेगी और कूड़े से निजात भी मिलेगी. कूड़ा न फैले ऐसी कल्पना नहीं कर सकते, लेकिन कूड़े का पहाड़ बनाये या कूड़े की बिजली बने यही गवर्नेंस है. मुख्यमंत्री जब IIT से पढ़े हों तो तकनीक का इस्तेमाल भी भरपूर होता है. कूड़े को ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी निगम की है, लेकिन दिल्ली की गलियों में फैले कूड़े को ख़त्म करने में नगर निगम फेल रही है. जब निगम फेल हुआ तो मंडी प्रशासन ने जिम्मेदारी उठाई है. सभी मंडियां ज़ीरो कूड़ा फेंकने वाली मंडियां बनेंगी."


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