Arvind Kejriwal On Central Government: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने फ्री सुविधाओं (Freebies) के मुद्दे को लेकर एक बार फिर केंद्र पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि, "कुछ दिनों से जिस तरीके से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का जबरदस्त तरीके से विरोध किया जा रहा है. इससे मन में एक शक पैदा होता है. इतना जबरदस्त तरीके से विरोध क्यों किया जा रहा है. अचानक लोगों के हितों की चीजों का विरोध क्यों किया जा रहा है."


सीएम केजरीवाल ने कहा कि, "सैनिकों को पेंशन देकर हम अहसान नहीं करते हैं. उस पेंशन के बिल को खत्म करने के लिए ये अग्निवीर लेकर आए हैं. यह देश के इतिहास में पहली बार है कि केंद्र ने उनकी अग्निपथ योजना को सही ठहराते हुए कहा कि वे ऐसा कर रहे हैं इसलिए उन्हें अब रक्षा कर्मियों को पेंशन का भुगतान नहीं करना पड़ेगा. आठवां वेतन आयोग बनने वाला था, लेकिन अब कह रहे हैं कि अब हम आठवां वेतन नहीं बनाएंगे, क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं है. केंद्र ने बार-बार दोहराया है कि उनके पास पैसा नहीं है, राज्यों को दिया गया पैसा कम कर दिया है. टैक्स कलेक्शन 2014 की तुलना में बहुत अधिक हुआ है, लेकिन उनके पास पैसा नहीं है. पैसा कहां जा रहा है?" 


"सरकारी पैसे से अपने दोस्तों का कर्ज माफ कर रहे"


दिल्ली के सीएम ने कहा कि, "पिछले 75 वर्षों में कभी भी सरकार ने बुनियादी खाद्यान्न पर टैक्स नहीं लगाया. पेट्रोल और डीजल पर टैक्स 1000 करोड़ से अधिक है. वे अब कह रहे हैं कि सरकार की सभी मुफ्त चीजें खत्म होनी चाहिए, सरकारी स्कूलों, अस्पतालों में फीस ली जानी चाहिए. फ्री राशन बंद करने की बात कह रहे हैं. केंद्र का सारा पैसा कहां गया? वे इस सरकारी पैसे से अपने दोस्तों का कर्ज माफ कर रहे हैं. उन्होंने अपने अरबपति दोस्तों के टैक्स भी माफ कर दिए हैं." 


मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा


बता दें कि, मुफ्त सुविधाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है. बुधवार को शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त उपहार बांटने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने और चुनाव चिन्हों को जब्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा, "ये एक गंभीर मुद्दा है. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह कहने का अधिकार है कि वे टैक्स का भुगतान कर रहे हैं. राशि को बुनियादी ढांचे आदि के लिए खर्च करना है, न कि पैसे बांटने पर." 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने और बांटने का वादा एक 'गंभीर मुद्दा' है और बुनियादी ढांचे आदि पर एक राशि खर्च की जानी है. आम आदमी पार्टी ने भी मुफ्त सुविधाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर रखी है. जिसमें कहा गया है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली और मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे 'फ्रीबाइज' नहीं हैं, लेकिन एक असमान समाज में ये योजनाएं बिल्कुल जरूरी हैं. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान सभी पक्षों से कहा कि वह उनके रिटायरमेंट से पहले ठोस सुझाव कोर्ट के सामने रखें. चीफ जस्टिस एन वी रमना 6 अगस्त को रिटायर होने जा रहे हैं. कोर्ट ने अब मामले में आगे की सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है. 


पीएम मोदी ने साधा था निशाना


इससे पहले पीएम मोदी (PM Modi) भी चुनावों में मुफ्त चीजें देने के वादे करने को लेकर राजनीतिक दलों पर निशाना साध चुके हैं. बीते मंगलवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने फिर दोहराया कि फ्रीबीज (Freebies) करदाताओं का बोझ बढ़ाता है, देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकता है और नई तकनीकों में निवेश को रोकता है. मुफ्त उपहार देना राष्ट्र हित में नहीं है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पहले भी पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया था. उन्होंने कहा था कि बीजेपी (BJP) वाले आम जनता को मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं नहीं देना चाहती क्योंकि ये अपने दोस्तों का कर्ज माफ कर रहे हैं. 


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