नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस बरकरार है. शुक्रवार शाम पार्टी प्रभारी पीसी चाको ने साफ कर दिया किया कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष के लिए कीर्ति आजाद के नाम पर मुहर लगा दी है, लेकिन आधिकारिक एलान से पहले ही इस फैसले को होल्ड पर डाल दिया गया. चाको ने एबीपी न्यूज को बताया कि "सब कुछ तय होने के बाद फैसला होल्ड कर दिया गया है, फैसले और एलान में कुछ दिन लग सकते हैं."


आजाद के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, प्रभारी पीसी चाको ने उन्हें भी अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी दे दी थी, लेकिन अचानक फैसला होल्ड पर जाने से सस्पेंस बढ़ गया है. सूत्रों के मुताबिक आजाद के अलावा सुभाष चोपड़ा का नाम अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे है.


आजाद को पूर्वांचली चेहरा बनाना चाहती है कांग्रेस


सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेताओं की गुटबाजी के मद्देनजर सोनिया गांधी ने एक नए चेहरे को कमान देने का मन बनाया हुआ है. कीर्ति आजाद को जाना पहचाना नाम होने के साथ ही पूर्वांचली चेहरे के तौर दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर सहमति बन गई. लेकिन आखिरी वक्त में इसका एलान रोक दिया गया.


सूत्र बताते हैं कि आजाद के नाम को लेकर अंदरखाने भारी विरोध था. दिल्ली कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि कोई बाहरी नेता अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे. सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को भी दिल्ली कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलकर आजाद के हाथ में कमान देने पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी.


कीर्ति आजाद का राजनीतिक सफर


कीर्ति आजाद इसी साल फरवरी में कांग्रेस में शामिल हुए थे. हालांकि उनके पिता भागवत झा आजाद दिग्गज कांग्रेस नेता और बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेटर रहे आजाद ने शुरू से बीजेपी की राजनीति की. उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत दिल्ली से ही की थी, जब 1993 में वो दिल्ली की गोल मार्केट (नई दिल्ली) विधानसभा से चुनाव जीते.


साल 1998 में शीला दीक्षित ने आजाद को यहां से हराया और इसके बाद आजाद ने 1999 से 2004, 2009 से 2019 तक बिहार के दरभंगा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया. अरुण जेटली पर दिल्ली क्रिकेट में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाने पर कीर्ति आजाद को बीजेपी से निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद फरवरी 2019 में आजाद कांग्रेस में शामिल हुए और झारखंड के धनबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ कर बुरी तरह हारे.


जाहिर है दिल्ली कांग्रेस के लिए आजाद एक बाहरी नेता हैं. इसी बात को लेकर दिल्ली कांग्रेस के नेता आजाद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं. हालांकि शुरुआत में अजय माकन, जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों से लेकर वर्तमान कार्यकारी अध्यक्षों के नाम पर भी विचार हुआ था. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष का पद 20 जुलाई को शीला दीक्षित के निधन के बाद से ही खाली है.


संदीप दीक्षित ने पीसी चाको के खिलाफ खोला मोर्चा


दूसरी तरफ शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने चिट्ठी लिखकर दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको को शीला दीक्षित की मौत का जिम्मेदार ठहराया है. शुक्रवार को शीला दीक्षित के करीबी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पीसी चाको पर कई तरह के आरोप लगाए और उन्हें पद से हटाए जाने की मांग की.


दरअसल बीमार चल रहीं शीला दीक्षित की जब मौत हुई उन दिनों दिल्ली कांग्रेस के कामकाज को लेकर उनके पीसी चाको के बीच मतभेद चल रहे थे. शीला के कई फैसलों को चाको ने पलट दिया था. सूत्रों के मुताबिक संदीप का आरोप है कि इन वजहों से शीला को काफी आहत हुई थीं और उन्हें तनाव का खराब असर उनकी सेहत पर पड़ा था.





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