दिल्ली में बीते एक साल में सबसे कम हुए कंटेनमेंट जोन, कोरोना की स्थिति सुधरने का संकेत
राज्य सरकार के राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 472 स्पॉट को बुधवार को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. ये आंकड़ा पिछले 15 महीनों में सबसे कम माना गया है.
राजधानी में कोविड 19 के भयानक रूप के बाद अब स्थिति कुछ सुधर रही है. बीते 15 महीनों में सबसे कम संख्या में कंटेनमेंट जोन बुधवार को देखने को मिले हैं. इसकी जानकारी सरकारी आंकड़ों से मिली है. दरअसल राज्य सरकार के राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 472 स्पॉट को बुधवार को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. जहां 472 स्पॉट में से कोई भी कंटेनमेंट जोन दक्षिण पूर्व क्षेत्र में नहीं है. सरकारी रिकॉर्ड में कहा गया है कि दक्षिण पूर्वी जिले में अंतिम सक्रिय कंटेनमेंट जोन को सोमवार को अधिसूचित किया गया था. आंकड़ों के मुताबिक 14 जून 2020 से दिल्ली के किसी भी जिले में शून्य कंटेनमेंट जोन नहीं हैं.
जानकारी के मुताबिक 2021 में अब तक 12 मार्च को सबसे कम कंटेनमेंट ज़ोन दर्ज किए गए थे. उस दौरान शहर में 488 हॉट स्पॉट थे. कोविड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्र ने सूक्ष्म नियंत्रण की नीति अपनाने पर जोर दिया था. इस नीति को 30 जून 2020 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य छोटे क्षेत्रों को सील करना और कम लोगों को अत्यधिक निगरानी में रखना है.
क्या है कंटेनमेंट ज़ोन?
कंटेनमेंट ज़ोन ऐसे स्थान होते हैं जहां कोविड 19 के उच्च मामले या क्लस्टर होते हैं. जहां आर्थिक गतिविधियों को विनियमित किया जाता है और आवाजाही प्रतिबंधित रहती है. लॉकडाउन नियमों पर चरणबद्ध छूट नियंत्रण क्षेत्र के रूप में अधिसूचित क्षेत्रों में लागू नहीं होती है और राज्य की टीमें आवश्यक सामान घर-घर पहुंचाती हैं. पिछले नए मामले के 14 दिन बाद ही कंटेनमेंट जोन को डी अधिसूचित किया जा सकता है.
सूक्ष्म नियंत्रण को माना गया प्रभावी रणनीति
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ ललित कांत ने कहा कि बीमारी के प्रसार को रोकने के मामले में सूक्ष्म नियंत्रण एक बहुत ही प्रभावी रणनीति रही है. नीति प्रभावी है और लोगों के कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है.