दिल्ली की एक अदालत ने रेप के एक आरोपी को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वारदात के वक्त पीड़िता उसकी पत्नी थी ऐसे में इसे रेप नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने आपसी विवाद के कारण रेप का केस दर्ज कराया था और इसलिए आरोपी को अपराधी ठहराना सही नहीं होगा. इस फैसले के बाद एक बार फिर से मैरिटल रेप की बात चर्चा में है.


एडिशनल सेशन जज उम्मेद सिंह ग्रेवाल ने देखा कि महिला रेप की बात को 5 जुलाई 2016 का बता रही है लेकिन उस दिन दोनों पति पत्नी थे. उन्होंने कहा कि ऐसे में इसे रेप का मामला कैसे माना जा सकता है.


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उन्होंने कहा- ये साफ है कि पीड़िता और आरोपी की शादी दो नवंबर 2015 से पहले हुई थी. और पीड़िता 5 जुलाई 2016 को रेप की बात कह रही है. इसलिए इस रेप का मामला नहीं माना जा सकता. ये कहते हुए कोर्ट ने आरोपी को रिहा कर दिया.


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दरअसल ये मामला पंजाब का है जहां आरोपी और महिला एक साथ रह रहे थे. पति को चोरी के मामले में जेल हो गई और पत्नी उसे छोड़ कर दिल्ली आ गई. जानकारी होने पर पति भी दिल्ली आ गया और अपनी पत्नी को साथ रहने के लिए मना लिया.


आरोप है कि उसने पत्नी के दो लाख रुपये भी चुरा लिए और इसके बाद पत्नी ने उसके साथ रहने से मना कर दिया. पैसे चोरी की रिपोर्ट महिला ने पुलिस में दर्ज करा दी और इस मामले में पति को जेल भी जाना पड़ा. जेल से छूटने के बाद भी दोनों मिलते रहे और सहमति से संबंध भी बनते रहे.


कोर्ट ने कहा कि विवाद दो लाख रुपये की चोरी से शुरू हुआ था ऐसे में रेप केस को नहीं माना जा सकता.