नई दिल्ली: एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में दिल्ली की कोर्ट ने प्रिया रमानी को बरी कर दिया. एमजे अकबर ने प्रिया रामानी के खिलाफ यह कहते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था कि प्रिया रमानी ने मीटू कैंपेन के दौरान किए गए ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है. जबकि उनके ऊपर इस तरीके के आरोप इससे पहले कभी नहीं लगे थे. अदालत में इस मामले पर विस्तृत बहस के बाद आज फैसला दिया है.


प्रिया रमानी को बरी करते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि एक महिला को सालों बाद भी सही अपनी शिकायत रखने का हक है. कोर्ट ने कहा है कि एक ऐसा शख्श जिसकी सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी हो वह यौन उत्पीड़न करने वाला भी हो सकता है. यौन उत्पीड़न से सामाजिक प्रतिष्ठा और मनोबल भी गिरता है. छवि के अधिकार को मर्यादा के अधिकार की कीमत पर नहीं सुरक्षित किया जा सकता.


कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि समाज को एक पीड़ित के शारीरिक उत्पीड़न और शोषण को भी समझना होगा. बराबरी का अधिकार संविधान में सभी को मिला हुआ है और इस आधार पर एक पीड़िता के पास अधिकार है कि वह अपनी शिकायत किसी भी मंच पर उठा सके.


कोर्ट ने कहा कि समाज को यह समझना जरूरी है कि कभी-कभी यह भी हो जाता है कि पीड़िता सालों तक यौन उत्पीड़न और शोषण की बात सिर्फ उस वजह से न कहे जिससे कि उसको किसी तरह की मानसिक परेशानी का सामना न करना पड़े. किसी महिला को इस वजह से सजा नहीं दी जा सकती कि उसने यौन उत्पीड़न को लेकर अपनी आवाज बुलंद की.


बता दें कि एमजे अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा अक्टूबर 2018 में दायर किया था.


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