Uphaar Fire Tragedy: उपहार अग्निकांड में कोर्ट ने सुशील अंसल और गोपाल अंसल को सबूतों से छेड़छाड़ का दोषी ठहराया
Uphaar Fire Tragedy: दिल्ली की एक अदालत ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ को लेकर रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल अंसल को दोषी करार दिया गया है.
Uphaar Fire Tragedy: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को रियल एस्टेट कारोबारियों सुशील और गोपाल अंसल को 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराया. 13 जून 1997 को हिंदी फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान उपहार सिनेमाघर में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गयी थी. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने अदालत के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा तथा दो अन्य लोगों- पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी मामले में दोषी करार दिया. अदालत दोषी करार दिए गए लोगों की सजा के बारे में सोमवार को दलीलों की सुनवाई कर सकती है. इस आरोप में अभियुक्तों को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.
अदालत ने पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए मुआवजा तय करने की खातिर सोमवार तक सभी अभियुक्तों के आय प्रमाण पत्र पेश करने को कहा. यह मामला अग्निकांड से जुड़े मुख्य मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ से जुड़ा हुआ है. मुख्य मामले में सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था और उच्चतम न्यायालय ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
न्यायालय ने हालांकि उन्हें जेल में बिताए गए समय को ध्यान में रखते हुए इस शर्त पर रिहा कर दिया था कि वे राष्ट्रीय राजधानी में एक ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना देंगे. सुनवाई के दौरान दो अन्य आरोपियों- हर स्वरूप पंवार और धर्मवीर मल्होत्रा की मौत हो गयी थी. अदालत ने शिकायतकर्ता एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजडी (एवीयूटी) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास पाहवा की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि अंसल और पंवार ने मुख्य मामले में सीबीआई द्वारा एकत्र किए गए सबसे अहम सबूतों को नष्ट करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी.
A Delhi court convicts businessmen Sushil & Gopal Ansal along with their two employees among others in the case related to tampering with the crucial evidence in the 1997 Uphaar fire tragedy case.
— ANI (@ANI) October 8, 2021
एवीयूटी अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर यह मामला दर्ज किया गया था. पाहवा ने अदालत से कहा कि कई दस्तावेजों को फाड़ दिया गया और कुछ गायब भी थे. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि मुख्य मामले में अंसल पर मुकदमा चलाया गया था और जिन दस्तावेजों को नष्ट या अवैध रूप से हटा दिया गया था, वे उपहार सिनेमा के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में उनकी भागीदारी को स्पष्ट करते थे.
सबूतों के साथ छेड़छाड़ का पता पहली बार 20 जुलाई 2002 को चला और दिनेश चंद शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई. उसे 25 जून, 2004 को बर्खास्त कर दिया गया. अभियोजन पक्ष ने कहा कि नौकरी चली जाने के बाद शर्मा को अंसल बंधुओं ने 15,000 रुपये मासिक वेतन पर रोजगार दिलाने में मदद की. दिल्ली पुलिस ने पहले अदालत से कहा था कि रियल एस्टेट कारोबारियों द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से आम आदमी का न्याय प्रणाली में विश्वास कम हुआ है.
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