नई दिल्ली: 2017 में उन्नाव में हुए बलात्कार मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दोषी करार दिया है. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कुलदीप सिंह सिंगर को बलात्कार और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोषी करार दिया जा रहा है. जिन धाराओं के तहत कुलदीप सिंह सिंगर को दोषी करार दिया गया है उसमें कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. सजा पर बहस मंगलवार यानी 17 दिसंबर को होगी.


कोर्ट ने सबूतों को पुख्ता मान दोषी ठहराया


कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देते हुए अदालत ने सेंगर की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि पीड़िता ने इस मामले में एफआईआर कथित घटना के कई दिनों बाद दर्ज करवाई थी. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पीड़िता उस दौरान डरी और सहमी हुई थी और खुद की और परिवार की जान बचाने के लिए इस केस को दर्ज करवाने में देरी हुई. कोर्ट ने इसके साथ ही कुलदीप सिंह सेंगर के वकीलों की तरफ से दी गई उस दलील को भी खारिज किया जिसमें कहा गया था कि सेंगर के मोबाइल की लोकेशन घटना के दिन कई किलोमीटर दूर दिखा रही थी. कोर्ट ने कहा कि वह दूरी करीब 14 किलोमीटर की थी जो कि ऐसे सुनसान इलाके में कुछ मिनटों में पूरी हो सकती है. कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को पोक्सो एक्ट की धारा के तहत भी दोषी करार दिया है क्योंकि उस दौरान पीड़िता की उम्र नाबालिग थी.


कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई पर भी खड़े किए सवाल


कोर्ट ने इसके साथ ही जांच एजेंसी सीबीआई पर भी सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य और सबूत कोर्ट के सामने लाए गए वह सीबीआई के पास भी थे तो आखिर सीबीआई ने चार्जशीट दायर करने में इतना वक्त क्यों लिया? अगर यह चार्जशीट पिछले साल दायर हो गई होती तो फैसला भी कब का आ चुका होता.


सह आरोपी शशि को किया बरी


कोर्ट ने इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर की सह आरोपी शशि को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि शशि पीड़िता को लेकर कुलदीप सिंह सेंगर के पास गई जरूर थी लेकिन खुद उसको भी यह जानकारी नहीं थी कि वहां पर पीड़िता के साथ कुछ गलत हो सकता है. पीड़िता के सामने खुद शशि ने खुद को भी एक पीड़ित बताया था.


इस केस से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई अभी भी लंबित


इस केस में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हैं. जिसमें से मुख्य मामले में कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया है. जबकि बाकी के मामलों में अभी भी सुनवाई चल रही है. इन मामलों में पीड़िता के पिता की कस्टडी में हुई मौत, सड़क दुर्घटना में उसके परिवार से मारे गए दो रिश्तेदारों का मामला भी शामिल है.


सुप्रीम कोर्ट ने मामला दिल्ली किया था ट्रांसफर


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव के इस मामले को अगस्त महीने में दिल्ली ट्रांसफर किया था और दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में मामले की रोजाना सुनवाई चल रही है.