27 मार्च तक नहीं होगी रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी, दिल्ली की अदालत ने दी अंतरिम राहत
वाड्रा की ओर से पेश सीनियर वकील के टी एस तुलसी ने उनके (वाड्रा) खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वाड्रा ने अदालत द्वारा उन्हें दी गई छूट का दुरुपयोग नहीं किया है.
नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि सोमवार को 27 मार्च तक बढ़ा दी. विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई वाड्रा को अंतरिम राहत दी.
वाड्रा की ओर से पेश सीनियर वकील के टी एस तुलसी ने उनके (वाड्रा) खिलाफ सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वाड्रा ने अदालत द्वारा उन्हें दी गई छूट का दुरुपयोग नहीं किया है. वाड्रा पर लंदन के 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर स्थित 19 लाख पौंड की एक संपत्ति की खरीद में धनशोधन के आरोप लगाये गये हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने मांगा ईडी से जवाब उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को रॉबर्ट वाड्रा की अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका की विचारणीयता पर ईडी से जवाब मांगा. इस मामले में जांच एजेंसी ने वाड्रा से पूछताछ की है. ईडी ने वाड्रा की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने तथ्यों को जानबूझकर छिपाया है इसलिए उन्हें कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए.
केंद्र और ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वाड्रा की याचिका विचारणीय नहीं है और यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है.
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ ने जांच एजेंसी से दो हफ्ते के अंदर इस बारे में एक एफिडेविट दाखिल करने को कहा कि वाड्रा और उनके सहायक मनोज अरोड़ा की दो अलग-अलग लेकिन एक जैसी याचिकाएं विचारणीय हैं या नहीं. साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो मई को तय कर दी. मामले में वाड्रा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं.
वाड्रा ने धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) 2002 के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग भी की है. बेंच ने पूछा कि क्या वाड्रा और अरोड़ा को कोई अंतरिम राहत मिली है. इस पर पीठ को बताया गया कि निचली अदालत ने दोनों को ही गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है. ईडी का प्रतिनिधित्व वकील डी पी सिंह और अमित महाजन भी कर रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि वाड्रा ने ईमानदारी के साथ अदालत से संपर्क नहीं किया और उन्होंने तथ्यों को छिपाया.
वाड्रा ने पीएमएलए कानून की धारा तीन (धनशोधन का अपराध), 17 (तलाशी और जब्ती), 19 (गिरफ्तारी का अधिकार), 24 (सबूतों का जिम्मा), 44 (विशेष अदालत में सुनवाई वाले अपराध) और 50 (समन जारी करने, दस्तावेज पेश करने और सबूत देने आदि के बारे में अधिकारियों की शक्तियों) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है.
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