Delhi Riots: दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों के एक मामले में अब दिल्ली कोर्ट ने मंगलवार (6 जून) को पांच लोगों को आरोप मुक्त कर दिया है. इन पांच लोगों पर डकैती और आगजनी के आरोप लगे थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपों का समर्थन करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि रिकॉर्ड में रखे गए सबूतों के आधार पर इन व्यक्तियों पर घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने, गैरकानूनी सभा करने और प्रशासन के आदेश का उल्लंघन करने के अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.
एडिशनल सेशन जज प्रमाचला पांच लोगों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिन पर 25 फरवरी को शिकायतकर्ता के घर से 10 तोला सोने के आभूषण और 90,000 रुपये लूटने के अलावा तोड़फोड़ और आगजनी करने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था. जज ने कहा कि आईपीसी की धारा 427 के तहत अपराधों के आरोपों के समर्थन में रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं हैं. इसलिए वह आरोपों से मुक्त किए जा रहे हैं.
सुनवाई के दौरान क्या बोले जज?
जज ने कहा कि गवाहों ने एक वीडियो के आधार पर दंगाई भीड़ के हिस्से के रूप में आरोपी व्यक्तियों की पहचान करने का दावा किया है. यह वीडियो तोड़फोड़, पथराव या लूट की किसी भी घटना को नहीं दिखाता है और इसलिए, यह वीडियो आरोपों के समर्थन में सबूत नहीं हो सकता है. ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी व्यक्तियों ने बर्बरता या लूट की थी डकैती का मामला भी नहीं बनता है.
सोना चोरी करने की नहीं हुई कोई पुष्टि
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता के बयान से ऐसा लगता है कि कथित तौर पर इस तरह की तोड़फोड़ या लूट के समय वह या उसके परिवार के सदस्य अपने घर पर मौजूद नहीं थे. सोने के आभूषणों के संबंध में इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि शिकायतकर्ता के घर में ऐसे आभूषण वास्तव में मौजूद थे या नहीं. यह भी आरोपों का हिस्सा नहीं है कि गहने और नकदी के अलावा दस्तावेजों सहित अन्य कुछ भी ले जाया गया.
नहीं मिली क्षतिग्रस्त संपत्ति की कोई तस्वीर
कोर्ट ने आईपीसी की धारा 427 और 435 के तहत अपराधों के बारे में कहा, गवाहों का कोई ठोस बयान नहीं था कि किसी विशेष संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया या आग लगा दी गई. इसमें कहा गया है कि इस तरह के सभी बयान अस्पष्ट हैं और रिकॉर्ड में किसी भी क्षतिग्रस्त संपत्ति की कोई तस्वीर नहीं है. मामले में खजूरी खास थाना पुलिस ने महबूब आलम, मंजूर आलम, मोहम्मद नियाज, नफीस और मंसूर आलम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
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